मतदाता सूची से नाम विलोपित होने की शिकायत
कोरबा 23 अप्रैल। निर्वाचन शाखा की विभागीय गलती और कार्य में लगे कर्मचारियों की लापरवाही से मतदाता सूची से नाम विलोपित होने की शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी से की गई है। मोहन सिंह प्रधान, प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ महतारी संस्कृति संवर्धन सेवा समिति ने मामले की शिकायत की है। उनका कहना है यह एक अति गंभीर मामला है जिसमें वर्तमान में होने वाले लोकसभा चुनाव में जो मतदाता सूची का प्रकाशन किया गया उसमें से मेरा नाम को काट दिया गया है। जबकि मेरे पूरे आश्रितों का नाम जिनका मैं अभिभावक हूं उन सभी परिवार के सदस्यों का नाम मतदाता सूची में उपलब्ध है। यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि किस आधार पर मेरा नाम मतदाता सूची से बाहर किया गया है और इसमें शामिल अधिकारी एवं कर्मचारियों की क्या मंशा है। इस तरह की गलती वास्तव में एक गंभीर अपराध एवं सिविल सेवा आचार संहिता का उलंघन है।
निर्वाचन शाखा कोरबा में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों के इस किए गए गलती के कारण उन्हें लोकसभा चुनाव में अपना मताधिकार प्रयोग के लिए वंचित होना पड़ेगा। उपरोक्त संदर्भ में बूथ लेवल अधिकारी के द्वारा 18 अप्रैल को जानकारी मिली कि आपका नाम मतदाता सूची से विलोपित कर दिया गया है मैं विगत 36 वर्षों से नगर निगम चुनाव विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में जब-जब चुनाव का आव्हान सरकार के द्वारा की गई तब तब मैंने अपने मताधिकार का प्रयोग विगत कई वर्षों से एक ही स्थान में रहकर करते आ रहा हूं और न हीं मेरा स्थान परिवर्तन हुआ है। और उपरोक्त संदर्भ में सारे दस्तावेज जो निर्वाचन आयोग या निर्वाचन अधिकारियों को मताधिकार के प्रयोग के लिए मांगी जाती है वह सभी दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध है, लेकिन पूछे जाने पर निर्वाचन शाखा कोरबा में उपरोक्त कार्य के लिए लगाए गए अधिकारी एवं कर्मचारियों का सही जवाब नहीं मिल पाने की स्थिति में और इस संबंध में उच्च अधिकारियों से बात करने हेतु इनके कहने के आधार पर मैंने जिला कलेक्टर कोरबा मुख्य निर्वाचन अधिकारी मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग रायपुर, मुख्य निर्वाचन आयोग भारत सरकार नई दिल्ली ,को भी उपरोक्त संदर्भ में अपना नाम जुड़वाने हेतु दिनांक 19.4.2024 को आवेदन प्रेषित किया है। मताधिकार से वंचित न हो इसलिए जिला निर्वाचन अधिकारी से अनुरोध किया है। मांग की है कि जो भी अधिकारी कर्मचारी इस कार्य में लगाए गए हैं और उनके तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने की की स्थिति में मजबूरन पत्राचार करना पड़ रहा है। इस तरह के कृत्य जो किसी भी कर्मचारी के लिए किसी आम नागरिक को उसके मताधिकार से वंचित करने की स्थिति में जो भी संविधान सम्मत कार्यवाही संबंधित लोगों के ऊपर की जाए ताकि इतने बड़े गंभीर विषय को हल्के में ना लेकर अन्य नागरिकों के साथ ऐसा आचरण ना करें।