भू-विस्थापित रोजगार नहीं मिलने पर फिर बंद करेंगे कुसमुंडा खदान
कोरबा 15 जनवरी। नौकरी की मांग को लेकर 75 दिनों से आंदोलनरत भू.विस्थापित एक बार पुनः उग्र आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। भू-विस्थापितों का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन समस्या निराकरण के लिए पहल नहीं कर रही है। इससे प्रभावितों में रोष बढ़ता जा रहा है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच भी भू-विस्थापित अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं और स्थल पर डटे हुए है। इस पर न तो एसईसीएल प्रबंधन कर रहा है और नहीं जिला प्रशासन ध्यान दे रही है।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की कुसमुंडा खदान के प्रभावितों द्वारा दो माह से भी अधिक वक्त से लगातार धरना दिया जा रहा है। रोजगार एकता संघ के बेनर तले मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के सामने 75 दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान भू-विस्थापितों ने दो बार खदान को बंद भी कराया, पर उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ। भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे पर अमल नहीं कर रहा है, भू-विस्थापित जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे। इस मौके पर माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि पुनर्वास व रोजगार के लिए भू-विस्थापित परिवार अभी भी भटक रहे हैं।
भू-विस्थापितों की जमीन जिस समय अधिग्रहण किया गया, उस समय लागू पालिसी के तहत ही किसान जमीन के बदले रोजगार की मांग कर रहे हैं। एसईसीएल ने जमीन अधिग्रहण के बाद भू-विस्थापित किसानों को धोखा दिया है। प्रबंधन और सरकार सभी भू-विस्थापित परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करे। नहीं तो आंदोलन और तेज होगा। रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष राधेश्याम कश्यप ने कहा कि भू-विस्थापित किसानों की मांग पूरी नहीं होने पर 26 जनवरी के दिन भू-विस्थापित किसान कुसमुंडा खदान को पूर्ण रूप से बंद करेंगे। इस दौरान जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक, दामोदर, दीपक साहू, बलराम कश्यप, मोहन कौशिक, दीनानाथ, संतानु, अभिषेक, अशोक मिश्रा, सोहरिक साहू, रेशम यादव, राजेश यादव, पुरषोत्तम, गणेश प्रभु, अनिरुद्ध, मिलान कौशिक, सनत कुमार, रघुनंदन यादव, हेमलाल, पंकज समेत अन्य उपस्थित रहे।