सब्जी-फल, कंद और फूल वाली फसलों पर भी बढ़ाएं जोरः वैज्ञानिक सलाहकार समिति
कोरबा 11 जुलाई। प्रदेश में कृषि का महत्व सभी जालते हैं। परंपरागत फसलों के साथ अपग्रेड खेती का दौर है। ऐसे में हमें विकसित सब्जी, फल पौध, कंद, फूल वाली फसलों को भी बढ़ावा देते हुए इसके उत्पादन क्षेत्र में विस्तार करने काम करना होगा। इन फसलों को भी किसानों तक पहुंचाने के लिए आगामी कार्ययोजना में शामिल किया जाना अच्छा कदम होगा।
कटघोरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र कोरबा में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। यह बातें डा देवशंकर वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने केंद्र के वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों व कृषकों को संबोधित करते हुए कहीं। समिति के अध्यक्ष डा एससी मुखर्जी निदेशक विस्तार सेवाएं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर की अध्यक्षता में यह बैठक रखी गई थी। कार्यक्रम में मुख्य सदस्य के रूप में डा एसएल स्वामी अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र कोरबा एवं डा देवशंकर वैज्ञानिक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, पशुपालन विभाग, मत्स्यकी विभाग, उद्यानिकी विभाग के प्रतिनिधि, अधिकारी एवं गोठान समिति के अध्यक्ष अमरपुर, कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा, कोरबा के समस्त अधिकारी सहित लगभग लगभग 32 कृषक उपस्थित रहे। अधिकारियों ने केवीके प्रक्षेत्र का भ्रमण किया। इस दौरान प्रक्षेत्र के विकास के लिए सलाह दिया गया। समन्वित कृषि प्रणाली की इकाई जैसे बकरी इकाई, केंचुआ खाद इकाई, मातृ बगीचा, मुर्गी पालन इकाई, बटेर पालन इकाई, चारा उत्पादन इकाई, मषरूम उत्पादन इकाई एवं अन्य इकाईयों के सुचारू रूप से संचालन हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, कटघोरा, कोरबा के अधिकारियों को सलाह दी गई। अंत में प्रक्षेत्र में डा.मुखर्जी ने आम एवं बबूल के पौधे रोपित किए।
तिलकेजा में मशरूम देख डा मुखर्जी हुए प्रभावितः-सर्वप्रथम डा एससी मुखर्जी ने मशरूम में प्रगतिशील कृषक चंद्रशेखर कश्यप एवं नरेंद्र उरांव ग्राम तिलकेजा विकासखंड कोरबा में भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान कृषकों के अनुभव, मशरूम की खेती लागत एवं लाभ पर चर्चा की। पैरा मशरूम की खेती लगभग आधा एकड़ में सात शेड झोपड़ी बनाकर लगभग पांच से सात लाख की आय सुनकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने निर्देशित किया कि पैरा मशरूम की उत्पादन तकनीक को जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करें, ताकि जून से सितंबर माह के अनुकूल वातावरण का कृषकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
डा महोबिया ने बताई अगामी गतिविधियांः-कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा के सभागार में पावर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से संस्था के कार्य प्रगति वर्ष 2020-21 एवं अगामी गतिविधियों, वित्तीय वर्ष 2021-22 के कार्ययोजना की जानकारी उन्होंने प्राप्त की। केंद्र संस्था प्रमुख डा आर.के.महोबिया की ओर से संस्था के कार्यों की प्रगति एवं कार्ययोजना को प्रस्तुत किया। डा देवशंकर वैज्ञानिक निदेशक विस्तार सेवाएं की ओर से विकसित सब्जी, फल पौध, कंद, फसलें, फूल वाली फसलों के उपलब्धता की जानकारी देते हुए क्षेत्र विस्तार के लिए आगामी कार्ययोजना में शामिल करने का सुझाव दिया गया। इस दिशा में कार्य करने की बात अधिकारियों ने कही।
स्वचालित कृषि मौसम वेधशाला की निरीक्षणः-ग्राम अमरपुर गोठान की महिला स्वसहायता समूह की महिला कृषकों को सब्जी बीज एवं पौध वितरित किए गए। स्वचालित कृषि मौसम वेधशाला की स्थापना एवं मौसम की जानकारी के लिए विभिन्न एप कृषकों के मोबाइल पर पंजीकृत होने एवं सूचना के प्रचार-प्रसार पर खुशी जाहिर की। अधिक से अधिक संख्या कृषकों के पंजीकृत करने निर्देशित किया गया। दामिनी एप, मेघदूत एप और काप डाक्टर एप का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करने को कहा गया। कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिक डा एसके उपाध्याय सस्य विज्ञान ने सभी उपस्थित अधिकारी-कर्मचारी एवं कृषकों का आभार ज्ञापन किया गया।