महाप्रभु रथ में होंगे विराजमान, दर्शन यात्रा नहीं

कोरबा 11 जुलाई। दादरखुर्द में आयोजित होने वाली पारंपरिक रथयात्रा आयोजन को जिला प्रशासन ने सशर्त अनुमति दे दी है। सादगी पूर्ण माहौल में महाप्रभु को मंदिर से निकाल कर रथ में विराजमान किया जाएगाए लेकिन दर्शन यात्रा नहीं निकाली जाएगी। बिना बाजे गाजे के सादगीपूर्ण आयोजन में केवल समिति दस सदस्य शामिल होंगे। गांव में किसी तरह का मेला मड़ाई का आयोजन नहीं होगा।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि 12 जुलाई को आयोजित होने वाली जगन्नााथ रथ यात्रा को लेकर कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों में उहापोह बनी थी। खासकर जिले में प्रमुखता से आयोजित होने वाली दादर खुद के लिए अनुमति मांगी गई थी। जिसमें निर्णय नहीं आने से ग्रामीणों में निराशा देखी जा रही थी। देर शाम जिला प्रशासन ने जारी आयोजन के निर्धारित मार्ग दर्शन का पालन करते हुए अनुमति दे दी है। आयोजन अनुमति के संबंध में कोरबा एसडीएम सुनील नायक ने बताया कि रथयात्रा सादगी पूर्ण माहौल में आयोजित की जाएगी। उन्होने बताया कि परंपरा के अनुसार महाप्रभु को मंदिर से निकालकर रथ में विराज मान करेंगे। रथ को एक स्थान से दूसरे ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया। आयोजन में केवल समिति के ही दस सदस्य शामिल होंगे। इस अवसर पर किसी प्रकार के ध्वनि विस्तार यंत्र का उपयोग नहीं किया जाएगा। आयोजन के दौरान भोग भंडारा का आयोजन नहीं होगा। रथ खींचने केवल सदस्य ही शामिल होंगे। पर्व संपन्न कराने वालों को मास्क, दास्ताना और सैनिटाइजर का उपयोग आवश्यक है। समिति को कार्यक्रम के बारे में पूर्ण जानकारी निकटवर्ती थाना प्रभारी को देने के लिए कहा गया है। यह नियम जिले भर के आयोजन समितियों के लिए होगा। पारंपरिक पूजा के लिए अनुमति मिलते ग्रामीणों में उत्साह देखा जा रहा है। मंदिर के पुजारी रामेश्वरी द्विवेदी ने बताया आयोजन के लिए ग्रामीणों की उपस्थित में बैठक आहूत की गई। जिसमें सर्व सम्मति से प्रशासन की ओर जारी अनुदेशों का पालन करने पर सहमति जताई गई है। पुजारी द्विवेदी ने बताया कि मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर जाते हैं। इस परंपरा को प्रतिवर्ष रथ यात्रा के रूप में मनाया जाता है। दादरखुर्द में यह आयोजन पिछले 120 वर्षों से मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रशासन से अनुमति मांगी गई थी। प्रशासन ने परंपरा निर्वहन के लिए सहमति दे दी है।

मंदिर के पुजारी रामेश्वर द्विवेदी ने बताया कि ग्रामीणों को मंदिर के सामने अनावश्यक भीड़ नहीं लगाने का आग्रह किया गया है। मंदिर के पट सुबह से ही खुले रहेंगे। पुलिस प्रशासन से भी सहयोग की मांग की गई है। रथयात्रा प्रति वर्ष की तरह शाम 4 बजे से शुरू होगी। कोरोना संक्रमण की संभावना को देखते हुए रथ खींचने के लिए अनुमति नहीं होगी। मंदिर किसी तरह से प्रसाद बांटने पर मनाही है। तिलक चंदन लगाने, मृदंग, घंटी आदि वाद्य यंत्र बजाने आदि की अनुमति नहीं होगी।

बालको में भी होगा आयोजनः-दादर खुर्द के अलावा बालको जनगन्नाथ मंदिर समिति ने भी आयोजन के लिए जिला प्रशासन से मार्गदर्शन मांगा था। अनुमति मिलने के बाद मंदिर प्रबंधन ने आयोजन की तैयारी तेज कर दी है। इस संबंध में चर्चा किए जाने पर मंदिर समिति में अध्यक्ष प्रभात पाणिग्रही ने बताया कि कोविड गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। आयोजन में केवल समिति के सदस्य ही शामिल होंगे। रथ में भगवान को भ्रमण नहीं कराया जाएगा, बल्कि मंदिर के सामने ही परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। किसी तरह के भोग, भंडारे का आयोजन नहीं किया जाएगा। सादगी पूर्ण माहौल में उत्सव का आयोजन किया जाएगा।

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