आरएसएस का भाजपा से कोई मतभेद नहीं.. यह केवल भ्रम पैदा करने की कोशिश
नई दिल्ली। संघ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपने मतभेद की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए इसे दोनों के मध्य भ्रम पैदा करने की कोशिश करार दिया। सूत्रों ने सपाट शब्दों में इस बात को भी नकारा कि लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर सरसंघचालक मोहन भागवत की आलोचनात्मक टिप्पणियां सत्तारूढ़ पार्टी को निशाना बनाकर की गई थी। आरएसएस और भाजपा सहित उसके सहयोगी संगठनों की तीन दिवसीय वार्षिक समन्वय की बैठक जो 31 अगस्त को केरल के पलक्कड़ जिले में होनी है उसमें भाजपा अध्यक्ष समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की पूरी संभावनाएं जताई है।
आरएसएस सूत्रों ने कहा, आरएसएस और भाजपा के बीच किसी भी प्रकार का मतभेद और दरार नहीं है। संघ का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्षी नेताओं समेत लोगों के एक वर्ग का दावा है कि भागवत की वह टिप्पणी लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को एक संदेश है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सच्चा सेवक कभी अहंकारी नहीं होता सूत्रों ने कहा, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने (भागवत) जो भाषण दिए थे और इस बार का जो भाषण है , इनमें बहुत अधिक अंतर नहीं है। किसी भी संबोधन में राष्ट्रीय चुनावों जैसी महत्वपूर्ण घटना का संदर्भ होना लाजिमी है।
उन्होंने कहा, लेकिन इसका गलत मतलब निकाला गया और भ्रम पैदा करने के लिए इसे संदर्भ से बाहर ले जाया गया। उनकी अहंकार वाली टिप्पणी कभी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या भाजपा के किसी नेता के खिलाफ नहीं थी। अपने भाषण में भागवत ने सोमवार को मणिपुर में एक साल बाद भी शांति बहाल ना होने पर चिंता जताई थी। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव के दौरान आम विमर्श की आलोचना की थी और चुनाव खत्म होने और परिणाम आने के बाद क्या और कैसे होगा, इस पर अनावश्यक बातचीत के बजाय आगे बढ़ने का आह्वान किया था। विपक्षी नेताओं ने भाजपा और मोदी पर निशाना साधने के लिए उनकी टिप्पणियों को हथियार बना लिया।