जनप्रतिनिधियों की चेतावनी के बाद भी नहीं सुधर रही पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाएं

कोरबा-पाली। अपने नये-नये कारनामो के कारण हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली अस्पताल आईसीयू से बाहर नहीं निकल पा रहा है। विगत दिनों एक दुर्घटना में आहत व्यक्ति को लेकर जब ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली पहुंचे तब स्वास्थ्य केंद्र के पास ना तो व्हीलचेयर थी और ना ही स्ट्रेचर। साथ ही अस्पताल में डॉक्टर भी उपस्थित नहीं थे जिससे नाराज होकर ग्रामीणों ने विरोध दर्ज कराया था। साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी नाराजगी जताते हुए व्यवस्था सुधारने कहा था किंतु आज भी व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं।

अस्पताल के कमरा नंबर 5 को चिकित्सक कक्ष बनाया गया है जिसमें चिकित्सक बैठते ही नहीं और अगर बैठते भी हैं तो पल भर के लिए। बाकी समय अपने निज निवास एवं स्व संचालित क्लिनिक में उपचार करते नजर आते हैं।
बुधवार शाम करीब 6 बजे अस्पताल में चिकित्सक कक्ष क्रमांक 5 में देखा गया तो वहां पर कोई भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं था। पूछने पर पता चला कि डॉक्टर साहब अपने निवास या क्लीनिक में होंगे, जरूरत पड़ने पर उन्हें बुलाया जाएगा। पूरा अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है ऐसा प्रतीत होता है

दंत रोग विभाग में नकली-असली डॉक्टर

विगत दिनों एक ग्रामीण अपने दांत की परेशानियों को लेकर दंत रोग विशेषज्ञ के पास सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली पहुंचा था जहां पर उसने पर्ची कटा कर दांतों के डॉक्टर वाले कक्ष में प्रवेश किया। उपस्थित एक व्यक्ति ने अपने आपको डॉक्टर बताते हुए इलाज आरंभ कर दिया और मरीज से बोला कि आपके दांतों का एक्स-रे होना है जिसकी सुविधा हमारे अस्पताल में नहीं है और अभी मशीनों में कुछ तकनीकी खराबियां आ गई है इसलिए निजी दंत चिकित्सक के पास अपना उपचार कर सकते हैं। इसके कुछ समय पश्चात असली डॉक्टर ने कक्ष में प्रवेश किया तो पता चला कि सामने जो बैठा है वह नकली डॉक्टर है। फिर ग्रामीण नाराजगी जताते हुए और शिकायत की बात कहते हुए वहां से चले गए । शिकायत के लिए उसने खंड चिकित्सा अधिकारी से फोन में बात करने का प्रयास किया किंतु चिकित्सा अधिकारी फोन नहीं उठाये।

एक करोड़ के गबन का मामला नोटिस में सिमटा

पाली अस्पताल के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी के ऊपर एक मामले में लगभग एक करोड़ रुपए का गबन का आरोप लगा हुआ है। वही दूसरा मामला लगभग 20 लाख रुपए के गबन का भी है। दोनों ही मामलों में जांच अंदर ही अंदर चल रही है। एक अधिकारी को तो नोटिस थमा दिया गया है पर मामले को दबाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। जिला मुख्यालय से कुछ भी उजागर नहीं किया जा रहा।

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