जिले के सहकारी समितियों में पर्याप्त बीज एवं उर्वरक उपलब्ध

किसान जरूरत के अनुरूप कर सकते हैं उठाव

जगदलपुर 07 जून 2024. जिले में खरीफ फसल सीजन की तैयारी प्रारंभ हो चुकी है, इसके साथ ही किसानों के द्वारा कृषि आदान जैसे बीज और उर्वरकों के उठाव में तेजी आई है। कृषकों को अच्छी गुणवत्ता के बीज एवं उर्वरक प्राप्त हो इसके लिए कृषि विभाग ने अप्रैल- मई के महीने में ही बीज एवं उर्वरकों के नमूने प्रयोगशाला में भेज दिया है जिससे मानक स्तर के बीज एवं उर्वरक ही अब कृषकों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। जिले में अब तक सहकारी समितियों में उच्च गुणवत्तायुक्त धान बीज जैसे एमटीयू 1010 एमटीयू 1001, महामाया एवं बम्लेश्वरी किस्म के कुल 7169 क्विंटल एवं लघु धान्य फसलें यथा कोदो एवं रागी के बीजों का कुल 260 क्विंटल मात्रा में भण्डारण किया गया है। जिसके विरूद्ध अब तक 4333 क्विंटल धान बीज एवं 66 क्विंटल मिलेट्स बीज का उठाव किसानों के द्वारा किया जा चुका है। इसी तरह यूरिया 4846 मीट्रिक टन, डीएपी 3859 मीट्रिक टन, पोटाश 1663 मीट्रिक टन तथा एनपीकेएस 1373 मीट्रिक टन समितियो में भण्डारण के विरूद्ध क्रमशः 3487 मीट्रिक टन, 2933 मीट्रिक टन, 971 मीट्रिक टन, एवं 911 मीट्रिक टन, वितरण कृषकों को किया गया है।

उपसंचालक कृषि के द्वारा उक्त जानकारी देते हुए कृषकों को समसामयिक कृषि सलाह में बताया गया है कि डीएपी उर्वरक के स्थान पर किसान एनपीकेएस (20ः20ः0ः13) एवं सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग कर अधिक पैदावार प्राप्त ले सकते हैं। डीएपी उर्वरक में नाइट्रोजन तत्व 18 प्रतिशत एवं फास्फोरस 46 प्रतिशत पाया जाता है। साथ ही डीएपी उर्वरक का मूल्य 1350 रुपए प्रति बोरी शासन द्वारा निर्धारित की गई है। जबकि एनपीकेएस (20ः20ः0ः13) उर्वरक में नाइट्रोजन 20 प्रतिशत एवं फास्फोरस 20 प्रतिशत के अतिरिक्त सल्फर तत्व भी 13 प्रतिशत पाया जाता है, जिसका मूल्य 1250 रुपए निर्धारित है। सल्फर फसलों मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे पौधों में बढ़वार एवं विकास के साथ ही फसल की परिपक्वता भी समय पर होती है। सिंगल सुपरफास्फेट उर्वरक का उपयोग खेतों मे एनपीकेएस के साथ करने पर 16 प्रतिशत फास्फोरस अतिरिक्त प्राप्त होती है। सिंगल सुपरफास्फेट में फास्फोरस तत्व के अतिरिक्त 11 प्रतिशत सल्फर एवं 21 प्रतिशत कैल्शियम भी पाया जाता है। सिंगल सुपरफास्फेट में जिंक एवं बोराॅन जैसे अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी पाये जाने से फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि के साथ ही फसलों में दाने भरने में भी सहायक होता है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया है कि वे गुणवत्तायुक्त बीजों एवं उर्वरकों का स्थानीय सहकारी समितियों के माध्यम से यथाशीघ्र उठाव कर सकते हैं।

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