रेत खनन अधिकार में नाममात्र के लिए संलग्न है पंचायतः कांट्रेक्टर व भाजपा नेता हावी
कोरबा 17 मई। विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के मामले में रेत की किल्लत काफी समय तक लोगों को झेलनी पड़ी और इस मामले में बिचौलियों ने चांदी काटी। वहीं किल्लत के चलते समस्याएं भी पेश आईं। इसलिए जिले में तीन क्षेत्रों में रेत खनन के अधिकार ग्राम पंचायतों को सौंपे गए हैं। हैरानी की बात यह है कि इन इलाकों में पंचायत नाममात्र के लिए इस काम में संलग्न है जबकि दूसरे लोग हावी हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक पूरा काम ऐसे लोगों पर ही केंद्रित हो गया है।
कोरबा शहरी क्षेत्र के अंतर्गत हसदेव और अहिरन के घाटों को अनुज्ञा पत्र दिया गया है और इसके लिए अधिकारिता भी सुनिश्चित की गई है। इन सबसे अलग हटकर ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार यह बात सामने आती रही कि यहां की नदियों से बेखौफ होकर रेत की चोरी की जा रही है। जेसीबी के जरिए रेत माफिया इस काम को अंजाम दे रहा है। उनके आशीर्वाद से अलग-अलग समूह के लिए काम करने वाला वर्ग ट्रैक्टर के जरिए आपूर्ति को सुनिश्चित करते हुए दो स्तर पर कमाई करने में लगा हुआ है। इस पूरी प्रक्रिया से भले ही सरकार को मोटी चपत लगती रही लेकिन खनन करने वालों को आर्थिक रूप से मजबूत होने का मौका मिल गया। वहीं रेत प्राप्त करने वालों को निर्धारित रायल्टी के मुकाबले कई गुना राशि बिचौलियों को अदा करनी पड़ी। इस दौरान लोगों ने कथित स्टॉक से रेत प्राप्त की जिसे लेकर दावे किये गये कि विधिवत ऐसे स्टॉक संचालित करने के लिए उन्होंने माइनिंग से अधिकार ले रखे हैं और इसके तहत काम किया जा रहा है। जांच पड़ताल में यह मामला फर्जी निकलने पर पिछले वर्ष प्रशासन की टीमों ने कोरबा जिले में कई जगह छापे की कार्रवाई की और हजारों घनमीटर रेत की जब्ती करने के साथ कई वाहनों को जब्त किया। भाजपा सरकार के गठन के बाद रेत की किल्लत को दूर करने के लिए आनन-फानन में योजना बनाई गई और इसे क्रियान्वित कराने की जिम्मेदारी माइनिंग विभाग को दी गई।
इस कड़ी में कोरबा जिले में भैसामुड़ा, कुदुरमाल और चुइया क्षेत्र के रेत घाटों को चलाने के लिए वहां की पंचायत को एजेंसी नामजद किया गया। व्यवस्था के अंतर्गत रायल्टी काटने और पूरे काम पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी एजेंसी की है और इसे यह सब करना चाहिए। जानकारी मिली है कि इन इलाकों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के कांट्रेक्टर या भाजपा नेता हावी हो गए हैं। कुछ मामलों में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही स्वार्थ के लिए पाला बदलने की मानसिकता बनाई। सूत्रों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के घाटों से सीमित रायल्टी की औपचारिकता करने के साथ व्यापक पैमाने पर रेत का दोहन किया जा रहा है। बताया गया कि इन्हीं क्षेत्रों में अपनी महत्वाकांक्षा और रणनीति के अंतर्गत बड़े स्टॉक किये जा रहे हैं ताकि अपने तरीके से इसका उपयोग किया जा सके। क्षेत्रों में अधिकारियों के दौरे होने की स्थिति में यह सब चीजें नजर क्यों नहीं आ रही है, समझ से परे है।