नगर निगम चुनावः सक्रिय नेताओं में तैयारी शुरू, लोकसभा परिणाम की प्रतीक्षा

कोरबा 12 मई। नगर पालिक निगम का मौजूदा कार्यकाल इस वर्ष दिसंबर से पहले खत्म हो जाएगा। नगर निगम के चुनाव नवंबर में संभावित है। इसे लेकर क्षेत्र में मुद्दों की तलाश शुरू हो गई। वर्ष 1998 में साडा को भंग कर नगर निगम का गठन पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किया गया था। गठन के बाद से निगम ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास किया और लोगों को सुविधाएं दी है।

पिछले दो चुनाव में नगर निगम कोरबा में कांग्रेस समर्थित महापौर बने हैं। जबकि गठन के बाद तीन अवसर पर जनता ने प्रत्यक्ष प्रणाली के माध्यम से भाजपा को निगम पर सत्ता संभालने का अवसर दिया। वर्ष 2019 में हुए निगम के चुनाव में छत्तीसगढ़ में पहली बार अप्रत्यक्ष रूप से महापौर का निर्वाचन हुआ। 67 वार्डों से निर्वाचित पार्षदों को एक बार फिर वोट का मौका दिया। इस दौरान सीमित अंतर से पंपहाउस वार्ड संख्या 14 से निर्वाचित कांग्रेस के पार्षद राजकिशोर प्रसाद को महापौर चुना गया। उनका कार्यकाल कई कारणों से चर्चा में रहा। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महापौर के जाति प्रमाण पत्र संबंधी विवाद पर निर्णय भी आ गया, जिसमें स्थानीय कोर्ट ने प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया, जो छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग से संबंधित था। भाजपा पार्षद रितु चौरसिया ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए चुनौति दी थी। हालांकि अभी भी महापौर पद पर बने हुए है। यद्यपि नगर निगम की निर्वाचित परिषद का कार्यकाल महज 6 महीने का ही बचा है। ऐसे में अगले नतीजों की परवाह न करते हुए कांग्रेस-भाजपा के अलावा दूसरे स्तर पर सक्रिय नेताओं ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में सक्रियता के पीछे यह भी एक बड़ा कारण रहा। खबर के मुताबिक अपने-अपने इलाकों में जनसंपर्क करते हुए ऐसे लोगों ने न केवल मुद्दों को तलाशा बल्कि जनता के मूड को भांपने की कोशिश भी की। स्थानीय स्तर पर पानी, बिजली, साफ-सफाई के अलावा नागरिक सुविधाओं से संबंधित विषय ही जनता को उन लोगों से जोडने का काम करते है, जो इसके लिए लगातार आवाज उठाते हैं और उचित स्तर पर पहल करते हुए नतीजे भी लाने में सफल होते है। निगम चुनाव के साथ ही जिले में कटघोरा और दीपका नगर पालिका, बांकीमोंगरा नवगठित पालिका सहित छूरीकला व पाली नगर पंचायत के लिए भी लोग वोट डालेंगे और नए अध्यक्ष व नए पार्षद को चुनेंगे।

4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो जाएंगे। कार्यक्रम के अनुसार संभवतरू 7 जून को केन्द्र की नई सरकार का शपथ ग्रहण होगा। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता शिथिल हो जाएगी। इस दिन से सरकार का पूरा तंत्र पहले की तरह सामान्य रूप से कामकाज करना प्रारंभ कर देगा। माना जा रहा है कि कोरबा में नगर निगम की सत्ता परिवर्तन से जुड़ा बड़ा काम भी जून महीने में हो सकता है, जिस पर काफी समय से लोगों की निगाहे हैं। इसे अनदेखी कहा जाए या फिर जन सरोकार से दूरी, शायद इसी का नतीजा है कि निगम क्षेत्र के कई गार्डन बदहाली की भेंट चढ़ गए है। निगम के द्वारा वर्षों पहले विकसित किए गए फलोद्यान का हाल कुछ ऐसा है कि यहां शराबियों के द्वारा छोड़ी गई खाली बोतलें और डिस्पोजल ही लोगों को नजर आ रही है। शाम के बाद यहां केवल नशेड़ी ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। कोरबा में घंटाघर चौराहे के आकर्षण को बढ़ाने के लिए लगाई गई घड़ी नमूना बनकर रह गई है जो काफी समय से समय नहीं बता रही है। जबकि पिछले वर्ष इसके सामने के परिसर में एलईडी से किया गया वेलकम ब्यूटीफिकेशन भी कबाड़ में बदल गया है।

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