सामाजिक संगठनों की कोशिशः रक्तदान को लेकर लोगों के मन से मिटी भ्रांतियां

कोरबा 11 मई। यह जरूर है कि भौतिकवाद के दौर में लोगों की बड़ी संख्या सुख और संसाधन की उपलब्धता की तरफ बढ़ी जा रही है। इसके कई कारण गिनाए जा रहे हैं लेकिन सच्चाई यह भी है कि समाज जीवन के लिए काम करने वाला वर्ग चीजों को भलीभांति समझ रहा है। रक्तदान का मामला इससे ही जुड़ा हुआ है। अब आपात स्थिति में रक्त के लिए जिंदगियों को बहुत ज्यादा जूझना नहीं पड़ता है।

मई 1998 में कोरबा के पृथक जिला गठन होने के बाद से यहां पर जिला स्तरीय ब्लड बैंक का संचालन शुरू हुआ। 26 वर्ष के इस सफर में ब्लड बैंक ने कई लाख लोगों को आड़े वक्त पर उनके समूह का रक्त दिलाने का काम किया है। समय-समय पर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में ब्लड डोनेशन कैंप लगाने से जिले के ब्लड बैंक की जरूरत ही न केवल पूरी हो रही है बल्कि इसके जरिए आवश्यकता आधारित मामलों में सहयोग करना संभव हो रहा है। जीवनदीप समिति के द्वारा चलाए जा रहे इस ब्लड बैंक के अलावा निजी संस्थाओं की ओर से भी इस प्रकार का कार्य किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक एक्सीडेंट, प्रसव, एनिमिया से संबंधित मामलों में अलग-अलग समूह के रक्त की जरूरत ज्यादा होती है। बहुत जल्द इसकी आपूर्ति करना और रक्तदाता की खोज करना आसान नहीं होता।

सामाजिक संगठनों की कोशिश ने इसे आसान किया है। बताया गया कि समय ने रक्तदान को लेकर लोगों के मन से भ्रांतियां मिटाई है और उनकी समझ में विस्तार किया है। इसलिए लोग अब रक्तदान करने को लेकर हिचकिचाते नहीं हैं बल्कि खुद को प्रस्तुत करते हैं। कौन दे सकता है रक्त18 से 55 आयु वर्ग का स्वस्थ व्यक्ति हर तीन महीने में रक्तदार कर सकता है।

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