मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना के साथ जवारा कलश का हुआ विसर्जन

जगह-जगह भोग प्रसाद वितरण का हुआ आयोजन

कोरबा 18 अपै्रल। नवरात्र पर्व के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना यज्ञ अनुष्ठान सहित की गई। शहर के देवी मंदिर में देवी दर्शन के लिए श्रद्धालु भक्तों की मंदिर में कतार लगी रही। दिन भर विधिवत पूजा अनुष्ठान के पश्चात शाम को मनोकामना ज्योति और जवारा कलश का विसर्जन किया गया। मंदिरों में भंडारा के साथ जगह-जगह भोग प्रसाद वितरण का भी आयोजन किया गया।

नौ दिन से जारी नवरात्र पर्व के अंतिम दिन बुधवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की गई। मंदिर में नवरात्र पर्व का उपवास रखने वाले श्रद्धालुओं ने यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया। दुर्गा सप्तपदी का पठन-पाठन करते श्रद्धालु भक्तों को देखा गया। मां सर्वमंगला मंदिर में पर्व के अंतिम दिन सुबह से ही श्रद्धालु भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर में यज्ञ हवन के पश्चात ज्योति पूजा की गई, जिसमें मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित कराने वाले श्रद्धालुओं ने भागीदारी निभाई। शहर के अलग-अलग जगहों में मां के भोग प्रसाद व भंडारे का आयोजन किया गया। कालीबाड़ी मंदिर में आयोजित भंडारे में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने मां के प्रसाद को ग्रहण किया। पुरानी बस्ती, सीतामणी, दर्री रोड, पावर हाउस रोड, टीपी नगर सहित अलग-अलग स्थानों में स्थित देवी मंदिर परिसर में भी भंडारे का आयोजन किया गया था। दर्री बांध के निकट स्थित मां भवानी मंदिर में भी मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को कतारबद्ध अपनी पारी का इंतजार करते हुए देखा गया। यहां नौ दिन तक चले मानस यज्ञ के पूर्णाहुति में यज्ञ कर्ताओं ने श्रद्धा और आस्था के साथ हवन किया। पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करने वाली मां मड़वारानी, कोसगाई में आस्थावान श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इन स्थानों में भी आयोजित विशाल भंडारे व भोग प्रसाद वितरण किया।

नौ दिन तक देवी विविध रूपों की उपवास रख कर पूजा करने वाले वाले व्रती श्रद्धालुओं ने कन्या भोजन कराकर अपने व्रत खोला। इस दौरान कन्याओं की पूजा अर्चना कर उनके पांव धोकर चरणामृत प्रसाद लिया गया। भवानी मंदिर व मां सर्वमंगला मंदिर में श्रद्धालुओं ने कन्या भोज का आयोजन किया। कन्या भोज के पश्चात उन्हे उपहार स्वरूप वस्त्र, पुल इत्यादि वितरीत किए गए। शहरी क्षेत्र के अलावा गांवों में स्थित माता चौरा में जवा बुवाई कर जलाए गए ज्योत कलश का नौ दिनों के पूजा के पश्चात विसर्जन किया गया। देर शाम को विसर्जन यात्रा में ग्रामीण श्रद्वालुओं की भीड़ देखी गई।

शारदीय नवरात्र के अंतिम दिवस मडवारानी पहाड़ में जवारा पूजा का उल्लास रहा। पहाड़ उपर मंदिर में नवरात्र के पहले दिन स्थापित किए गए जवारा कलशों को महिलाएं सिर पर धारण कर पहाड़ के उपर से नीचे उतरी। बाजे गाजे के साथ निकाली गई जवारा कलश को हसदेव नदी एवं सोन नदी के तट पर लाया गया। पूजा आराधना के पश्चात कलश को विसर्जित किया गया।

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