छत्तीसगढ़: किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं है यह कोयला लेव्ही घोटाला
रायपुर। कारोबारी सूर्यकांत तिवारी ने किस शातिराना अंदाज में 540 करोड़ रुपए के कोयला घोटाले को अंजाम दिया, इसकी बानगी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंटी करप्शन ब्यूरो में दर्ज कराई गई एफआईआर में देखने को मिलती है. एफआईआर में घोटाले के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के साथ उनके सहयोगी सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर विश्नोई, आईएएस रानू साहू के साथ कुल 35 लोगों के नाम दर्ज हैं.
ईडी की उप निदेशक संदीप आहूजा और उप पुलिस अधीक्षक फरहान कुरैशी की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कोल लेवी स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान मिली सूचनाओं का हवाला दिया गया है. कोल लेवी स्कैम में 11 आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ 222 करोड़ रुपए की प्राप्त संपत्ति को जब्त करने का हवाला देते हुए बताया कि जांच के दौरान ऐसे कई अपराध पाए गए, जो एसीबी और ईओडब्ल्यू के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. एफआईआर में ईडी की जांच में सामने आए तथ्य को बताया गया.
कोल लेवी स्कैम की मोडस ऑपरेंडी
कोल लेवी स्कैम को अंजाम देने के लिए एक सिंडिकेट काम कर रहा था, जिसमें एक तरफ सूर्यकांत तिवारी जैसे कारोबारी काम कर रहे थे, तो दूसरी तरफ आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया और खनिज विभाग के अधिकारी राजनीतिक आकाओं के साथ शामिल थे. ईडी ने बताया कि सूर्यकांत तिवारी ने राजनीतिज्ञों और कुछ आला अधिकारियों के साथ मिलकर तत्कालीन जियोलॉजी एण्ड माइनिंग के डायरेक्टर आईएएस समीर विश्नोई को ट्रांसपोर्ट परमिट के लिए ऑनलाइन के स्थान पर मैनुअल सिस्टम का आदेश पारित करवा दिया. इसके साथ राज्य में कोयला परिवहन के लिए प्रति क्विंटल 25 रुपए की लेव्ही ली जाने लगी. समीर विश्नोई इस नोटिफिकेशन का कोई तर्कसंगत जवाब नहीं दे पाए. ऐसे में एसीबी को खनिज सचिव और विश्नोई के नीचे काम करने वालों की जांच करने की जरूरत है.
ईडी ने बताया कि जांच में पाया गया कि सूर्यकांत तिवारी द्वारा संचालित वसूली रैकेट में किस तरह से सौम्या चौरसिया और आईएएस रानू साहू शामिल थीं. दोनों ने कोयला खनन इलाके में खनिज विभाग के हां में हां मिलाने वाले अधिकारियों की पदस्थापना की. सूर्यकांत तिवारी इन शक्तिशाली और वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से कोयला परिवहनकर्ताओं और अन्य व्यापारियों से पैसों की वसूली करने लगा. वसूली का सिस्टम जमते ही बड़ी राशि सिंडिकेट के पास आने लगी, जिसका उपयोग सूर्यकांत ने बेनामी संपत्ति खरीदने में किया. इसके साथ राजनीतिक फंडिग के लिए बड़ी रकम सौम्या चौरसिया को ट्रांसफर किया गया. जांच में यह भी पाया गया कि सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी के बीच पैसों की लेन-देन का काम दोनों का करीबी मनीष उपाध्याय किया करता था.
वसूली का तरीका
ईडी ने अपने एफआईआर में बताया कि किस तरह से सूर्यकांत तिवारी पैसों की वसूली किया करता था. इसके लिए सूर्यकांत तिवारी ने अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अपने आदमी तैनात कर दिए थे. इसमें रोशन कुमार सिंह, निखिल चंद्राकर और रजनीकांत तिवारी रायपुर में, राहुल सिंह सरगुजा, नवनीत तिवारी रायगढ़, पारिख कुर्रे बिलासपुर, मोइनुद्दीन कुरैशी कोरबा, विरेंद्र जायसवाल सूरजपुर में वसूली का काम करते थे. ये लोग जिला खनिज अधिकारी से सीधे वाट्सएप के जरिए जुड़े हुए थे. कोयला परिवहनकर्ताओं और व्यापारियों से 25 रुपए की कोल लेवी की वसूली होते ही खनिज अधिकारी को एनओसी के लिए मैसेज कर दिया करते थे. पैसे नहीं देने पर या तो एनओसी नहीं दिया जाता था, या फिर लटका दिया जाता था. सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी के घर छापे में ऐसे वसूली के अनेक दस्तावेज बरामद किए गए. रोजाना बड़ी मात्रा में होने वाली वसूली को सूर्यकांत तिवारी के कहने पर लक्ष्मीकांत तिवारी अपने घर पर रखने के साथ अधिकारियों और राजनेताओं को दिया करता था. वहीं सूर्यकांत तिवारी के इशारे पर निखिल चंद्राकर पैसों को अधिकारियों और नेताओं के घर ले जाने में काम किया करता था.
आयरन पिलेट निर्माताओं से भी वसूली
ईडी ने जांच में पाया कि सूर्यकांत तिवारी के सिंडिकेट ने कोल लेव्ही से वसूली को आगे ले जाते हुए आयरन पिलेट की बिक्री और डीएमएफ में भी वसूली करने लगे थे. इन सबमें मिले पैसों को कोल लेव्ही से मिले पैसों के साथ सूर्यकांत तिवारी के अनुपम नगर स्थित निवास में रखा जाता था.
इन नेताओं और विधायकों की भूमिका आई सामने
ईडी की जांच में पाया कि सूर्यकांत तिवारी के वसूली गैंग ने कई नेता और विधायकों को उपकृत किया है. एफआईआर में इन नेताओं का जिक्र बाकायदा रकम के साथ किया गया है. इनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के कोषाध्ययक्ष रामगोपाल अग्रवाल को 52 करोड़ दिया गया, उनके बाद भिलाई नगर विधायक देवेंद्र कुमार यादव को 3 करोड़, शिशुपाल सोरी को 1.10 करोड़, कांग्रेस प्रवक्ता राम प्रताप सिंह को 2.01 करोड़, विनोद तिवारी को 1.87 करोड़, विधायक अमरजीत भगत को 50 लाख, चंद्रदेव प्रसाद राय को 46 लाख, बृहस्पत सिंह को 10 लाख, इदरीश गांधी को 6 लाख, विधायक चिंतामणी महाराज को 5 लाख, विधायक गुलाब कमरो को 1 लाख और विधायक यूडी मिंज को 50 हजार रुपए दिया गया.
जानिए किसे कितनी बांटी रकम
ईडी ने कोयला परिवहनकर्ताओं, इस्तेमालकर्ता और आयरन पिलेट निर्माताओं से पूछताछ पाया कि इन लोगों के पास कोल लेव्ही सिंडिकेट को पैसे देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. जुलाई 2020 से लेकर जून 2022 के बीच करीबन 540 करोड़ रुपए की वसूली हुई थी. इसमें से 170 करोड़ रुपए बेनामी संपत्ति को खरीदने में हुआ, 36 करोड़ रुपए मनीष उपाध्याय और जय के जरिए सीधे सौम्या चौरसिया को ट्रांसफर किया गया. 52 करोड़ रुपए कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को दिए गए. 3 करोड़ रुपए विधायक देवेंद्र यादव को खैरागढ़ उप चुनाव और अन्य खर्च के लिए दिए गए. समीर विश्नोई को 10 करोड़, आईएएस रानू साहू को 5.52 करोड़, चंद्रदेव राय को 46 लाख, कांग्रेस नेता राम प्रताप सिंह को 2.01 करोड़, कांग्रेस नेता विनोद तिवारी को 1.87 करोड़, चुनाव खर्च के लिए पूर्व विधायक ओर नेताओं को 6 करो़ड़ दिए गए. इसके अलावा झारखंड को 5 करोड़, बेंगलुरु को 4 करोड़ रुपए भेजे गए. इस तरह से 296 करोड़ रुपए का हिसाब ईडी ने दिया है, जिसके बाद शेष राशि के इस्तेमाल में जुटे होने की बात कही गई है.
समीर, रानू और सौम्या की जब्त बेनामी संपत्तियां
ईडी ने अपने एफआईआऱ में बताया कि जांच के आधार पर शासकीय कर्मचारी समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया और रानू साहू की बेनामी संपत्तियों को जब्त किया गया. इसमें समीर विश्नोई की 10 करोड़ 42 लाख रुपए की पांच अचल संपत्ति, नगद और गहने, सौम्या चौरसिया की 22 करोड़ 12 लाख रुपए की 29 अचल संपत्तियां और रानू साहू की 5 करोड़ 52 लाख रुपए की 36 अचल संपत्तियों को जब्त किया गया है. ईडी ने बताया कि कोल लेव्ही सिंडिकेट की मदद से शासकीय कर्मचारियों द्वारा हासिल संपत्ति की जांच के लिए स्थानीय एसीबी की मदद की दरकार है, जिसके लिए एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता है.