बेमौसम वर्षा से खेत-खलिहान में रखे धान का नुकसान होना तय

कोरबा 06 दिसम्बर। बंगाल की खाड़ी से उठा मिचौंग चक्रवात का चौरफा असर देखा जा रहा है। मंगलवार की सुबह से हो रही बेमौसम वर्षा ने किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। खेतों में खड़ी फसल धराशायी हो गई हैं, खलिहानों में काट कर रखे धान भीग रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दो दिनों तक मौसम के मिजाज में सुधार की गुंजाइश नहीं है। वर्षा ऐसे ही लगातार जारी रही तो धान की फसल को नुकसान होना तय है।

मौसमी उतार चढ़ाव का असर जिले में पिछले सप्ताह भर से बनी हैं। रही सही कसर को मिचौंग चक्रवात ने पूरी कर दी है। बदली व वर्षा की वजह से वातावरण में ठंड असर गायब है। देर रात न्यूनतम तापमान 10 से 11 डिग्री सेल्सियस है। वहीं दोपहर के समय तापमान 34 से 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है। इसका सीधा असर रबी फसल की बोआई पर पड़ रहा है। गेहूं की बोआई तेज ठंड होने पर की जाती है। वातावरण में तापमान वृद्धि होने से गेहूं की बोआई पिछड़ रही है। बहरहाल सुबह से हो रही रिमझिम वर्षा से मंगलवार को खेतों में धान कटाई व खलिहानों में रखी फसल की मिसाई का काम बंद हो गया है।

जिला कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा के मौसम विशेषज्ञ संजय भिलावे ने बताया कि किसानों को चाहिए कि आगामी दो दिनों तक फसल की कटाई न करें। जिन्होने कटाई कर ली है वे अपनी फसल को सूखे स्थान की में रखने युक्ति बना लें। बताना होगा कि जिले में 98,000 हेक्टेयर में किसानों ने धान की खेती की है। 60 प्रतिशत रकबे में फसल की कटाई हो चुकी। 40 प्रतिशत रकबा ऐसे हैं जिसमें किसानों ने पतला धान की बोआई की हैं, देर से पकने के कारण अभी तक कटाई नहीं हुई। पानी भरने के कारण मैदानी खेतों में हार्वेस्टर से कटाई असंभव है। धराशायी फसल अधिक दिन तक पानी में रहा उपज घटना तय है। जारी वर्षा न एक ओर फसल कटाई पर रोक लगा दी है। वहीं रबी की तैयारी पर भी व्यवधान डाल दिया है।

सुबह से जारी वर्षा के कारण जिले के एक भी धान उपार्जन केंद्र में बोहनी नहीं हुई। जिन किसानों ने धान की मिसाई कर ली है, उनके भी धान में नमी का असर देखा जा रहा है। धान को सूखने के लिए किसान अब धूप निकलने का इंतजार कर रहे हैं। एक नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी के 35 दिन बीत जाने के बाद 65 केंद्रों 1.20 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई। शासन ने भले उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़ा दी है लेकिन शेड, चबूतरा, गोदाम की सुविधा नहीं होने से खुले आसमान के नीचे रखे धान को नुकसान हो रहा।

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