नगर निगम कोरबा में भ्रष्टाचार, लापरवाही और स्वेच्छाचारित का हुआ महालेखाकार की आपत्ति से खुलासा


कोरबा 9 सितंबर। नगर पालिक निगम कोरबा न केवल अपने अमले भ्रष्ट आचरण के लिए कुख्यात हो रहा है, बल्कि स्वेच्छाचारिता के मामले में भी नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। यहां तक कि लेखापरीक्षा के लिए अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने का दुस्साहस भी करने में नगर निगम के अधिकारी पीछे नहीं रहते।
न्यूज एक्शन को मिले दस्तावेजों से नगर निगम में करोड़ों रूपयों की अनियमितता का खुलासा होता है। ये दस्तावेज निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और तीन-तीन दशक से एक ही स्थान पर कुण्डलीमार कर बैठे करेंसी मैनेजरों का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख देता है।
नगर निगम के अफसरों का कुछेक ठेकेदारों से ऐसी जुगलबंदी है, कि उनके फायदे के लिए फर्जी स्टीमेट तक बनाने का खेल वर्षों से करते आये हैं। पूर्व आयुक्त राहुल देव ने ऐसे कुछ मामलों का पर्दाफाश किया था। रखरखाव आदि के कार्यों में हर साल लाखों रूपयों का भ्रष्टाचार आम बात है। गार्डन से लेकर भवनों और साफ-सफाई के कामों में हर माह लाखों रूपयों का फ र्जी बिल बनाकर भुगतान करने की चर्चा सुनने में आती रहती है।
महालेखाकार ने लेखा परीक्षा में करोड़ों रूपयों की अनियमितता और स्वेच्छाचारिता का खुलासा किया है। महालेखाकार ने जल प्रदाय योजना, भवन निर्माण, स्वच्छा शाखा, योजना शाखा, संपदा शाखा, राजस्व शाखा, भण्डार शाखा, अमृत मिशन, प्रधानमंत्री आवास, वाहन शाखा और नगर निगम के सभी जोन में कदम कदम पर भ्रष्टाचार, लापरवाही, स्वेच्छाचारिता के प्रमाण बिखरे पड़े हैं। महालेखाकार द्वारा की गयी आपत्तियों के अवलोकन से इसका पता चलता है। आईये देखें एक वानगी-

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