राम मंदिर की प्रतिकृति में विराजेंगे 21 फीट ऊंचाई के गजानन महाराज

कोरबा 17 सितम्बर। कटघोरा के हाई स्कूल मैदान चौराहा के पास जय देवा गणेशोत्सव समिति द्वारा गणेश उत्सव का अंदाज इस बार हर किसी को आकर्षित करेगा। यहां कलकत्ता से आए पारंगत कलाकारों द्वारा 101 फीट ऊंचा भव्य पंडाल तैयार किया जा रहा है, जिसे श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या का माडल के रूप में बनाया गया है। इसकी अद्भुत कलाकारी अभी से ही लोगों को मोहित कर रही है। इसके भीतर 21 फीट ऊंचाई भगवान गणेश के प्रतिमा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्थापित की जाएगी। प्रतिमा नगर में पहुंच चुकी है। विधि विधान के साथ इसकी स्थापना की जाएगी। अनंत चतुर्दशी तक यहां पर भगवान गणेश की आराधना की जाएगी। इस दौरान पूजा, आरती, अनुष्ठान के साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रतिदिन करने की योजना बनाई गई है। उत्सव अपने आप में विशेष छाप छोड़े, इसके लिए हर संभव प्रयत्न किए जा रहे हैं।

गणपति बप्पा को अब विसर्जन के लिए बाहर ले जाने की जरूरत नहीं। घर के गमले की मिट्टी में रखकर श्रद्धालु वर्ष भर उनकी उपस्थिति अनुभव करेंगे। इस अवधारणा के साथ इस बार बाजार में मुंबई और कोलकाता से लाई गई इकोफ्रेंडली गणेश की नन्ही प्रतिमाएं लोगों को खूब भा रहीं है। मिट्टी व वाटर कलर से निर्मित प्रतिमाओं की खरीदी कर श्रद्धालु पर्यावरण संरक्षण के लिए सहभागी बन रहे हैंं। बदलते परिवेश के साथ आस्था का स्वरूप भी बदलने लगा है। गमले पर ही प्रतिमा विजर्सजन की परंपरा बढऩे से इस बार गणेश उत्सव के लिए छोटे कद की मूर्तियां अधिक बिक रहीं हैंं। बच्चों को सांस्कृति विरासत से जोडऩे के लिए लोग बच्चों की पसंद की छोटी प्रतिमा को अधिक पसंद कर रहे हैं। समितियों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियों की तुलना घर में पूजा के लिए प्रतिमाओं की अधिक मांग होती है। 19 सितंबर से शुरू होने वाली गणेश पूजा में मूर्ति बिक्री के लिए शहर के विभिन्न स्थानाों प्रतिमाओं का स्टाल लग चुका है।

खास बात यह है कि मध्यम आकार के प्रतिमाओं की तुलना में लोग छोटी आकार की 15 सेंटी मीटर से लेकर आधी फीट ऊंची प्रतिमाओं को लोग अधिक पसंद कर रहे है। बाजार में 150 रूपये की छोटी प्रतिमा से लेकर 5,000 रूपये की बड़ी प्रतिमा उपलब्ध है। प्रतिमा विक्रेता गणेश गुप्ता का कहना है महानगरों में विसर्जन के लिए समुद्रए नदी या सरोवर तक दूर जाने की समस्या से निजात पाने के लिए लोग अब छोटी मूर्तियों की मांग कर रहे हैं। मूर्तियों को घर में विसर्जित करने की परंपरा शुरू कर दी गई है। एक तरह से यह अच्छा भी है। नदी या सरोवर के पानी में जितना प्रदूषण बड़ी प्रतिमाओं से होती उससे कहीं अधिक छोटी प्रतिमाओं के विसर्जन से होती है। घर पर गमले में प्रतिमा को विसर्जित कर मिट्टी का उपयोग फूल अथवा सब्जियां तैयार करने में की जा सकती हैं। खास बात यह भी है पहली बार शहर की प्रतिमा स्टाल में कोलकाता के साथ मुंबई की प्रतिमाएं बिक रहीं है। कीमत को लेकर प्रतिस्पर्धा होने से खरीदारों को इसका लाभ मिल रहा है। मूर्ति व्यवसायी गणेश का कहना है कि छोटी प्रतिमाओं की विशेषता यह भी है कि इसे वर्ष भर पूजा घर में भी रखा जा सकता है। आगामी वर्ष पूजा के दौरान फिर नई प्रतिमा लेकर पुरानी हो चुकी प्रतिमा को गमले में विसर्जित किया जा सकता है।

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