मिलेट्स पर गल्र्स कॉलेज में हुआ व्याख्यान
कोरबा 10 सितम्बर। शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय, कोरबा के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं गृहविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट दिवस के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के अंतर्गत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र सिंह के मागदर्शन में मिलेट्स पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र प्रो.डॉ तारा शर्मा एवं श्रीमती संध्या पाण्डेय, विभागाध्यक्ष हिन्दी उपस्थित हुए। व्याख्यान में डॉ अंजली राय विभागाध्यक्ष अंग्रेजी, डॉ एपी सिंह विभागाध्यक्ष वाणिज्य , डॉ विनोद कुमार साहू,विभागाध्यक्ष राजनीतिशास्त्र, श्रीमती वर्षा सिंह तंवर, सहायक प्राध्यापक राजनीतिशास्त्र उपस्थित रहे। व्याख्यान माला का संचालन महाविद्यालय की एनएसएस कार्यक्रम कार्यक्रम अधिकारी डॉ. डेज़ी कुजूर एवं श्रीमती मोनिका मिंज,सहायक प्राध्यापक गृह विज्ञान के द्वारा किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के तहत् मिलेट्स कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा आदि के पोषक मान, गुणों एवं खाद्य सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए जनमानस में जागरूकता लाकर दैनिक आहार में शामिल करते हुए उत्पादन, उत्पादकता एवं विपणन को प्रोत्साहन करने के लिए भारत सरकार द्वारा महाविद्यालय में विशेष व्याख्यान के आयोजन संबंधी निर्देश दिए गए हैं। इस तारतम्य में आज शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय कोरबा के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं गृहविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्यवक्ता प्रो डॉ.ारा शर्मा ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां से मिलेट्स का उत्पादन होता रहा है, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में परिष्कृत अनाज ने मिलेट्स जैसे पौष्टिक आहार को मुख्य आहार से बाहर कर दिया। जिसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पडऩे लगा। लेकिन अब पूरे विश्व ने मिलेट्स की उपयोगिता को जाना और उसके प्रति जागरूकता लाने का कार्य भारत सरकार कर रही है।
महाविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष श्रीमती संध्या पाण्डेय ने मिलेट्स के बारे में छात्राओं को जानकारी देते हुए कहा कि भोजन में षटरस का होना आवश्यक है। मिलेट्स में आसानी से उपलब्ध है। जिसमें रागी का उपयोग भोज्य पदार्थ के रूप में कर सकते हैं और डायबिटीज टाईप 1 टाईप 2 जैसे गंभीर बीमारी से दूर रहा था सकता है। विभागाध्यक्ष डॉ एपी सिंह ने कहा कि आज कृषक वर्ग मिलेट्स की खेती को सब्सीट्यूड एग्रीकल्चर के रूप में अपना रहे हैं क्योंकि कम रकबे और कम सिंचाई में इसका अधिक से अधिक उत्पादन हो सकता है। विशेष व्याख्यान के अंत में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ डेज़ी कुजूर के द्वारा आभार ज्ञापित किया गया। महाविद्यालय के एनएसएस के स्वयंसेवक मंजुला, तुलसी, नेहा, अलका आदि का सक्रिय योगदान रहा।