रेलवे क्रासिंग बंद: मनमाने निर्णय से लंबा फेरा लगाने को मजबूर कर्मचारी

कोरबा 03 सितंबर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा किये जा रहे सौतले व्यवहार से केवल आम नागरिक ही परेशान है ऐसा बिलकुल नहीं है। रेल कर्मी और उनके परिवार भी गलत फैसले के कारण उपजी समस्याओं से बेहद दिक्कतों में है। स्टेशन के पास के रेलवे क्रासिंग को पूरी तरह से बंद करने के कारण न्यू रेलवे कालोनी से स्टेशन के बीच आने-जाने के लिए 500 मीटर की दूरी तय करने में उन्हें 5 किमी का लंबा फेरा लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

अव्यवहारिक नीतियों को बनाने और अमल करने के चक्कर में रेल प्रबंधन काफी समय से जिलेवासियों की आलोचना झेलने को मजबूर है या फिर कहा जाये कि यह उसकी जरूरत बन गया है। अनेक मौकों पेर यात्री ट्रेनों को बंद करने के साथ-साथ सेकेण्ड इंट्री की सुविधाओं को खत्म करने, वाहन स्टेण्ड को व्यवस्थित नहीं करने और स्टेशन के प्लेटफार्म को सुविधा संपन्न नहीं बनाये जाने के मसले को लेकर लोगों की जलीकटी बातें रेलवे के अधिकारी सुनते रहे है। ये सब तस्वीरें बताती है कि रेलवे के फैसलों के चक्कर में जन सामान्य बेहद परेशान है। लेकिन समस्या खाली यहां तक ही सीमित नहीं है। कुछ रेल कर्मचारी और उनके परिवारजन भी रेलवे के द्वारा स्थानीय स्तर पर अपनाई जाने वाली कुनीतियों से त्रस्त हो गये है।

कोरबा स्टेशन के आउटर से होकर न्यू रेलवे कालोनी और एसईसीएल को जाने वाले रास्ते पर स्थित रेलवे फाटक को पूरी तरह से बंद कर देने के साथ लोगों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी गई है। आम नागरिकों के साथ-साथ रेल कर्मियों और उनके परिवार इसके चलते समस्या झेल रहे है। ऐसे में हर किसी को स्टेशन पहुंचने के लिए कम दूरी के बावजूद दूसरे रास्ते को अपनाना पड़ रहा है। मूसीबत में फंसे रेल कर्मियों ने समस्या हल करने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। वे उच्चाधिकारियों को बताना चाह रहे है कि हम लोगों को ड्यूटी करने के लिए लंबा फेरा लगाना पड़ रहा है। यही हाल वापसी के दौरान होता है। हर दिशा में रेल फाटकों के होने से समस्या और ज्यादा विकराल हो गई है। इसलिए पुरानी सुविधा को बहाल करने के लिए न्यू रेलवे कालोनी और स्टेशन के बीच रेलवे क्रासिंग को खोलने पर ध्यान दिया जाये।

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