फिर शुरू हो गया कोयला चोरी का सिलसिला

कोरबा 28 जुलाई। कुछ समय तक थमने के बाद एक बार फिर से जिले के कोयलांचल दीपका, गेवरा में कोयला चोरी का क्रम शुरू हो गया है। संगठित तरीके से काम को करने की खबर है। इससे पहले यहां-वहां ईडी की कार्रवाई और कुछ चेहरों के पकड़ में आने के बाद खौफ के चलते कोयला चोरी का काम ठंडा पड़ गया था।

भारत सरकार के उपक्रम साउथ ईस्टन कोलफील्डस की खदानों को चोरों ने अपने लिए सबसे अच्छा जरिया बना रखा है। उनका अपना नेटवर्क है, अपना तरीका है और अपने संसाधन। हर स्तर पर रणनीतिक समीकरण फिट करते हुए कोयला माफिया अपने रसूख के दम पर इस अवैध काम को अंजाम तक पहुंचाने में लगा हुआ है। भले ही अब तक कोयला चोरी से होने वाले नुकसान की कोई अधिकृत आंकड़े जारी नहीं किये गए हैं। जानकारों का मानना है कि हर दिन कई लाख रूपए का कोयला खदानों से चोरी हो रहा है। महीने भर में इसका ग्राफ करोड़ों तक पहुंचता है, इसमें कोई असमंजस जैसी कोई बात नहीं।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार लंबे समय से चोरी चकारी के काम में जुटकर विशुद्ध लाभ अर्जित करने में सफल रहे खास चेहरे बिल्कुल नहीं चाहते कि किसी भी कारण से इस अवैध और जोखिम भरे धंधे से दूरी बनायी जाए। यही कारण है कि पिछले दिनों हुई सख्ती और दबाव तेज होने पर उन्होंने माइंस से न चाहते हुए भी खुद को दूर किया। लेकिन उनके लिए इंतजार काफी कष्टकारक साबित हो रहा है। शायद इसीलिए तमाम तरह की जोखिम लेते हुए कोयला माफिया और उनके लिए काम करने वाला मैदानी अमला एक बार फिर से इस काम में सक्रिय हो गया है। कोयला कंपनी के साथ-साथ जिले के लिए रायल्टी के मामले में सबसे अहम स्थान रखने वाले क्षेत्र में माफियाओं का दबदबा और उनके द्वारा लगातार की जा रही हरकतें ना केवल दो स्तर पर नुकसान का कारण बनी हुई है। बल्कि इससे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कुसमुंडा में हुई थी कार्रवाई

उधर एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र में पिछले दिनों त्रिपुरा राईफल्स के जवानों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए डीजल चोरी के मामले को पकड़ा था। इसके बाद पुलिस को अवगत कराने और तथ्य प्रस्तुत करने पर पुलिस ने डीजल टेंकर जप्त किया। सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी पार्टी के एक कथित नेता और उसके कई कारिंदे इस काम में लिप्त बताये जा रहे हैं। उनको लेकर लगातार कई खबरें सामने आती रही है।

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