शिक्षा विभाग के सारे दावे खोखले : सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर, अव्यवस्थाओं के मध्य विद्यार्थी पढऩे को मजबूर
कोरबा 14 जुलाई। चुनिंदा सरकारी स्कूलों को छोड़ दें तो अधिकांश स्कूल अपने सरकारी होने की व्यथा यूं ही बयां कर देते हैं। सरकारी स्कूल बोलने से एक जर्जर हालत का भवन, टूटी-फूटी खिड़कियां, बदहाली का मंजर आंखों के सामने घूम जाता है, खासकर ग्रामीण व दूरस्थ अंचलों में। शहर क्षेत्र में भी हालात कुछ ज्यादा ठीक नहीं हैं।
यह हालत तब है जब सरकारी स्कूलों और सरकारी स्कूलों में शिक्षण की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है, जिला प्रशासन के अधिकारी बैठकें लेकर इस दिशा में बेहतर कार्य करने के लिए बार-बार निर्देश दे रहे हैं। इन सबके बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता और उनमें सरकारी स्कूल की व्यवस्थाओं को व्यक्तिगत रुचि लेकर सुधारने की इच्छाशक्ति की कमी का अभाव व्यवस्था को बदहाल किए हुए है। कमीशनखोरी के कारण निर्माणकर्ता ठेकेदारों में समय पर कार्य पूर्ण नहीं करने की प्रवृत्ति भी व्यवस्थित सरकारी शिक्षालय की स्थापना में एक बड़ा रोड़ा बने हुए हैं।
शिक्षा विभाग के सारे दावों को खोखला साबित करता सरकारी स्कूल कोरबा जिले के विकासखण्ड करतला अंतर्गत ग्राम पंचायत महोरा प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला है। यहां बच्चों के पढऩे के लिए भवन नहीं है। पूर्व का भवन जर्जर अवस्था में होने के कारण स्कूल दो पालियों में संचालित होता है। प्राथमिक शाला सुबह 7.30 से 11. 30 बजे तक तथा माध्यमिक शाला दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक संचालित होता है। यहां प्राथमिक शाला में 50 और माध्यमिक शाला में 97 विद्यार्थी दर्ज हैं। अव्यवस्थाओं के मध्य कक्षा छठवीं के बच्चे एक शेड के नीचे पढ़ाई करते हैं तो सातवीं कक्षा के बच्चे सचिव आवास में पढाई करते हैं। सातवीं कक्षा के आधे बच्चे सचिव आवास के कमरे में तो आधे बच्चे बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते हैं। कक्षा आठवीं के बच्चे अतिरिक्त कक्षा में पढ़ाई करते हैं। स्कूल परिसर में शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है जिसके कारण छात्राओं को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है।