दादरखुर्द के जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा निकाली गई
कोरबा 21 जून। आषाढ़ माह की द्वितीया के अवसर रथयात्रा का आयोजन जिले के विभिन्न मंदिरों में की गई। शहर के निकट दादरखुर्द के जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा निकाली गई। भगवान महाप्रभु, बलदाऊ व सुभद्रा की रथ को खींच कर श्रद्धालुओं ने पुण्यलाभ अर्जित किया। पखवाड़े भर के भगवान अपनी मौसी के घर गए। पखवाड़े भर बाद वापसी रथयायात्रा होगी।
जनश्रुतित भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के कारण मंदिर पट 15 दिन से बंद था। लोक मान्यता व परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ को स्वस्थ करने की जुगत में दवा के रूप में काढ़े का भोग अर्पण कराया जा रहा था। मंगलवार को मंदिर का पट खुलने के पहले ही दर्शनार्थियों की भीड़ लग गई थी। मंदिर के पुजारी कृष्णा द्विवेदी ने बताया कि दादरखुर्द में रथ यात्रा की परंपरा 121 साल पुरानी है। आयोजन इस बार 122 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। रानी धनराज कुंवर के जमींदारी के समय ग्राम दादर में थवाईत परिवार निवास करता था, जो रानी का मालगुजार हुआ करता था। यह परिवार भगवान जगन्नाथ की भक्ति करता था, परिवार के सदस्य दर्शन के लिए पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर जाया करते थे। उनके मन में इच्छा जाहिर हुई कि कोरबा में भी भगवान जगन्नाथ की एक मंदिर स्थापित की जानी चाहिए। तब से यह पंरपरा चली आ रही है।
आयोजन को मूर्त रूप देने में थवाइत परिवार के सदस्यों की भी सहभागिता रही मंगलवार को मंदिर का पट खुलते भक्तों में स्वामी जी पूजा आराधना की। दोपहर तक क्रम जारी रहा। तेज धूप होने के बाद भी भक्तों की आस्था देखते बन रही थी। शाम चार बजते ही भगवान जगन्नाथ को बलभद्र सुभद्रा सहित रथ में विराजित किया गया। गांव की गलियों से भ्रमण कराते हुए राम जानकी मंदिर तक ले जाया गया। यहां तीनों प्रतिमाओं को स्थापित की गई। रथयात्रा के दौरान रथ को खींचने के लिए भक्तों में होड रही। 15 दिन बाद वापसी रथयात्रा के पश्चात प्रतिमाओं को मंदिर में पुन:स्थापित की जाएगी। दादर खुर्द के अलावा जिले के बालको, पाली, छुरी, कटघोरा आदि स्थानों में रथयात्रा पर्व का उल्लास रहा।