धर्म को कभी भी राजनीति का विषय नहीं बनाना चाहिए: आचार्य प्रवर

कोरबा 12 मार्च। संतों व उनके विचारों को मानने वालों की भावनाओं को आहत करने वाली राजनीति गंदी राजनीति है। इस प्रकार की राजनीति तो कभी होनी ही नहीं चाहिए और न ही धर्म को कभी राजनीति का विषय बनाना चाहिए। कभी भी किसी को आहत करनेए दुखी करने या कष्ट पहुंचाने का भाव तो मन में होना ही नहीं चाहिए। देश व प्रजा के लिए अच्छी नीति बनाएं, नियम बनाएं इसी का नाम राजनीति है। नहीं तो सिर्फ और सिर्फ एक-दूसरे को लड़ाने की जो प्रवृत्ति चल रही है, वह हमारे देश को बांट देगी। इसे खत्म करना चाहिए।

समाज और देश की जनता को जागरूक होना चाहिए। इस प्रकार के बंटवारे की जो बात करते हैं, निश्चित रूप से उन्हें रास्ता दिखाना चाहिए। यह बात वर्धमान आराधना भवन, इंदिरा विहार कॉलोनी टीपी नगर में पूज्य गुरुदेव अवंति तीर्थोद्धारक मरुधर मणि आचार्य प्रवर श्री जिन मणिप्रभसूरीश्वर जी महाराज ने शनिवार को चर्चा के दौरान कही। आचार्य प्रवर श्वेतांबर जैन समिति द्वारा आयोजित जिन मंदिर के 6 दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लेने यहां आए हैं। वे यहां धर्म की आड़ में संतों और उनके विचारों को मानने वालों को आहत करने की राजनीति पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। चर्चा के तदौरान गौतमचंद कोचर, योगेश जैन, महेन्द्र चोपड़ा, पारस जैन, मोतीलाल बोहरा, प्रकाश बोहरा, गौतम कोटडिय़ा आदि उपस्थित थे।

पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव की बात पर उन्होंने कहा कि मेरा अनुभव है कि जितने भी प्रभाव हैं, वे क्षणिक है, क्योंकि लोग जानते हैं कि इनसे शांति नहीं मिल सकती है। सुविधा मिल सकती है, लेकिन समाधि नहीं। समाधि प्राप्त करने के लिए तो वापस शुद्ध धर्म के मार्ग पर, आत्मा के मार्ग पर आना ही होगा। जीवन का मूल्य जब तक समझ में नहीं आएगा, तब तक ये विकार चलते रहेंगे।

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