स्वास्थ्य के लिए लाभदायक , कोदो-कुटकी और रागी की मांग बढ़ी जिले में

कोरबा 11 मार्च। भारत सरकार ने वर्ष 2023 को मिलेट इयर घोषित किया है। हर तरफ इस दिशा में काम किया जा रहा है। उपलब्धता के आधार पर संबंधित क्षेत्रों में होने वाले मोटे अनाजों के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ उसके महत्व को परिभाषित किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन औसत पैमाने पर हो रहा है। शहरी क्षेत्रों में इसके चाहने वाले धीरे-धीरे बढ़े हैं। सरकार के द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन से अब मोटा अनाज केवल गरीबों तक सीमित नहीं रहा। कोरबा जिले में इसके व्यंजन और अन्य स्तर पर खानपान का हिस्सा बनाए जाने से उत्पादकों को काफी लाभ मिल रहा है। खबर के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग होने से लोगों का रूझान बढ़ा है। परंपरागत व्यंजन इसके जरिए तैयार किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के अलावा सभी प्रकार के दुष्प्रभाव से मुक्त होने के कारण मोटे अनाज लोगों की पसंद बन रहे हैं। जानकारों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में भले ही कुछ केंद्रों में 100 रुपए से अधिक दर पर यह खाद्यान्न बेचा जा रहा है लेकिन मध्यप्रदेश के डिंडोरी, अनूपपुर और शहडोल सहित मंडला जिले में इन खाद्यान्नों को 30 से 40 रुपए में आसानी से उपलब्ध कराया जा रहा है।

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