रोजगार की मांग को लेकर भू-विस्थापित बैठे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर
कोरबा 03 मार्च। जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर लगातार आंदोलन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ की ओर से 487 दिनों से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। अब 2 मार्च से कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
भू-विस्थापित किसानों से आजीविका के साधन जमीन का अधिग्रहण करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलने से आक्रोश भडकऩे लगा है। एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन द्वारा भू.विस्थापितों की समस्याओं के प्रति गंभीरता से समस्याओं का निराकरण नहीं करने के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है। प्रत्येक खातेदार को रोजगार देने की प्रक्रिया शुरू करने तक आंदोलन जारी रखने ऐलान किया गया है। किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि पुनर्वास और रोजगार के लिए भू.विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं। रोजगार देने का सपना दिखाकर किसानों से जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण कर लियाए लेकिन आजीविका का साधन जमीन जाने के बाद रोजगार के लिए किसान भटक रहे हैं। पिछले चार दशकों से भू.विस्थापित रोजगार के लिए एसईसीएल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। नियमों का हवाला देते हुए उन्हें रोजगार देने से इनकार किया जा रहा है। किसानों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। एसईसीएल प्रबंधन और सरकार सभी भू.विस्थापित परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करे नहीं तो कोयला उत्पादन को भी पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा। कोयला से जुड़े किसी भी अधिकारी और मंत्री के दौरे का भी विरोध किया जाएगा। भू.विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव और सचिव दामोदर श्याम ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे पर अमल नहीं कर रहा है। जिला प्रशासन के कार्यालयों में सत्यापन और अन्य दस्तावेज तैयार कराने के लिए भू.विस्थापित महीनों चक्कर काट रहे हैं। अब भू.विस्थापितों ने जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष और तेज करने का निर्णय लिया है। इसे लेकर 2 मार्च से कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया गया है। मांग पूरी नहीं होने पर 10 मार्च को कुसमुंडा में महाबंद की चेतावनी दी है।