साहित्य हिन्दी त्रिलोचन की कविता: एक मधु मुसकान से लिख दो Gendlal Shukla August 21, 2020 प्रस्तुति- सरिता सिंहएक मधु मुसकान से लिख दो जगत की यह कहानीयह नया पतझर, रहे झर वे पुराने भाव वे स्वर मिट रहे वे चित्र घन के रवि गया जिन को बिरच कर रात में जो स्वप्न देखा पुष्ट जिस की भाव-रेखाजा रही है रात तुम को मूर्ति है अपनी बनानीरात में मन मन अलग थे स्वप्न रचना में बिलग थे ताल लय में नव उदय था भिन्न भाषा भिन्न जग थे अब उषा की स्निग्ध स्मृति में एक सृति में एक स्थिति मेंएक भू पर भिन्न कृति में एक सरिता है बहानीदेश के ये बंध तोड़ो जाति के ये बंध तोड़ो वर्ण वर्ण खिले सुमन दल रुचिर रुचिर सुंगध जोड़ो रूप में हो तेज संचय तेज में नव प्राण परिचयसब बिराजें एक रचना में वही है पास लानी Spread the word Post Navigation Previous कोरबा : समय परिवर्तन से व्यापारियों को आपत्ति..चेम्बर के परामर्श से पुनर्निधारण की माँगNext मौसम : जिले में आज झमाझम बारिश..कोरबा सहित प्रदेश के 6 जिलों में रेड अलर्ट जारी Related Articles Stories दिवस विशेष साहित्य स्मृति हरीश अड्यालकर : गुनगाहक हिरानो है…@ डॉ. सुधीर सक्सेना Gendlal Shukla December 19, 2024 आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा साहित्य ग्राम बरपाली महाविद्यालय में हिन्दी संगोष्ठी का हुआ आयोजन Gendlal Shukla December 16, 2024 आयोजन कोरबा छत्तीसगढ़ प्रेरणा समीक्षा संस्कृति साहित्य एनटीपीसी कोरबा में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन Gendlal Shukla November 12, 2024