तिरछी नजर : रामअवतार तिवारी

ताकतवर बिल्डर की संपत्ति होगी कुर्क?

रायपुर के पुराने लोगों के लिए बिल्डर राकेश पांडेय अनजान नहीं है। राकेश की नौकरशाही में अच्छी पैठ रही है। मुकेश गुप्ता जैसे कईयों से उनका याराना रहा है। आर्थिक रूप से भी संपन्न राकेश पांडेय को तगड़ा झटका लगा है।बताते हैं कि रेरा की अपीलेट अथॉरिटी में उनकी चल-अचल संपत्ति को कुर्क करने के आदेश को यथावत रखा है। राकेश पांडेय की कॉलोनी में घर बनाने वाले रिटायर्ड डीआईजी प्रवीर दास और अन्य लोगों की उस शिकायत पर रेरा ने आदेश पारित किए थे। शिकायतकर्ताओं ने कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया था। बाद में हाईकोर्ट में रेरा के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में कोर्ट ने स्टे वैकेट कर दिया था। इसके बाद राकेश पांडेय ने रेरा की अपीलेट अथॉरिटी में अपील की थी। अथॉरिटी ने राहत दी थी, लेकिन यह राहत ज्यादा दिन तक नहीं रही। रायपुर के किसी ताकतवर बिल्डर की संपत्ति कुर्क करने का पहला आदेश है।

शैलेष नितिन त्रिवेदी का दर्द

पाठ्य पुस्तक निगम के चेयरमैन शैलेष नितिन त्रिवेदी इन दिनों परेशान हैं। इसका अंदाजा उनके वाट्सअप स्टेटस से लगाया जा सकता है। इसमें उन्होंने लिखा है-तेरी जुदाई का शिकवा करूं तो किससे करूं। यहां तो हर कोई अब मुझे तेरा समझता है। रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष त्रिवेदी ने अजीत जोगी के सानिध्य में रहकर अपनी राजनीति की शुरूआत की थी। उनके साथ करीब 25 बरस गुजारने के बाद नंद कुमार पटेल और फिर भूपेश बघेल से जुड़ गए। उनसे बेहतर प्रवक्ता कांग्रेस आज तक नहीं ढूंढ पाई है। सरकार बनने के बाद उन्हें निगम का चेयरमैन तो बना दिया गया, लेकिन संचार विभाग छोडऩा पड़ा। शैलेष बलौदाबाजार से चुनाव लडऩा चाहते हैं, लेकिन वहां छाया वर्मा सक्रिय हैं। चर्चा है कि छाया को भूपेश बघेल का आशीर्वाद मिल गया है। अब शैलेष का हाल यह है कि प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम उन्हें जरा भी नहीं सुहाते हैं। सीएम हाउस में गिरीश देवांगन की दखल की वजह से उनका आना-जाना तकरीबन बंद है। बाकी बड़े नेताओं से उनके कोई बहुत अच्छे संबंध नहीं है। ऐसे में शैलेष के वॉटसअप स्टेटस से दर्द झलकता हुआ दिख जाता है।

राउत को नई जिम्मेदारी

रिटायर्ड आईएएस एमके राउत को भूपेश सरकार कोई अहम जिम्मेदारी दे सकती है। राउत जोगी सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पीएचई मंत्री रहते सचिव रहे हैं। उनके अच्छे संबंध हैं। दो महीना पहले ही सीर्ईसी के रूप में राउत का कार्यकाल खत्म हुआ। भूपेश सरकार उनके अनुभवों का लाभ लेना चाहती है। वैसे उनके सक्रिय राजनीति में जाने की अटकलें लगाई जा रही थी। उनके रमन सिंह और अन्य भाजपा नेताओं से भी उनके बहुत अच्छे संबंध हैं। वो हर जगह फिट रहे हैं। ऐसे में उन्हें क्या दायित्व मिलता है, यह देखने वाली बात है।

कोयले का ठेका और विवाद

आरोप लग सकता है कि सरकारी ठेकों में समधिवाद चल रहा है। दिक्कत यह है कि आरोप लगाने का जिम्मा जिन पर है, वे खुद दोनों हाथों में लड्डू लिए बैठे हैं। शायद यही वजह है कि बिजली कंपनी की खदान से कोयला परिवहन का ठेका दो साल के लिए करीब दो हजार करोड़ रुपये में आवंटित हो गया और कहीं चूं की आवाज़ भी नहीं आई। ठेका कांग्रेस के पावरफुल नेता के समधी को मिला है, जिनका राजनीति में सीधा हस्तक्षेप नहीं है। इनके लिए दुनिया के रईसों में गिने जाने वाले समूह को दरकिनार कर दिया गया। बाकी लोगों के टेंडर के लिफाफे ही नहीं खोले गए। इसके चले मौजूदा ठेकेदार भी बाहर हो गया। रेट भी इतना तगड़ा कि एसईसीएल वही काम आधी कीमत में कराता है।

रेरा आसान पीसीसीएफ में टसल

वन विभाग में नए वन बल प्रमुख की तलाश समय से पहले शुरू हो गई है। वर्तमान पीसीसीएफ संजय शुक्ला का रेरा प्रमुख पद पर जाना लगभग तय माना जा रहा है। रेरा में नियुक्ति की प्रकिया चल रही है। अगले माह संजय शुक्ला को रेरा प्रमुख बनाए जाने का आदेश सब चीज ठीक ठाक रहा तो निकल जाएगा। रेरा प्रमुख के दावेदार कम हैं। दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी भी रेरा में जल्द नियुक्ति का प्रयास कर रहे है। नए वन बल प्रमुख की नियुक्ति में कांग्रेस संगठन के प्रभावशाली नेता वेणुगोपाल और मंत्री मोहम्मद अकबर की चली तो राव की नियुक्ति आसान हो सकती है। दूसरी तरफ माटी पुत्र सीनियर अधिकारी सुधीर अग्रवाल अपने काम की क्षमता के बदौलत दौड़ में है।

उदय किरण से कोरबा में हलचल

शुक्रवार देर रात हुए फेरबदल में सबसे ज्यादा चौकानें वाला आदेश था कोरबा एसपी उदयकिरण की नियुक्ति । उदयकिरण इसके पहले कोरबा में सीएसपी, एड. एसपी और अब एसपी बनकर विरोधी जन प्रतिनिधियों को भी सकते में डाल दिए है। पुलिस में सिंघम कहे जाने वाले उदय किरण का मंत्री जयसिंह अग्रवाल सहित कई लोगो से पंगा है इसके पहले बिलासपुर और महासमुंद में भाजपा नेताओं से बड़ा पंगा हो चुका है मामला कोर्ट तक गया है। आई पी एस संतोष सिंह का कद लगातार बढ़ रहा है।

चंदेल को विभिषण की तलाश

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के पुत्र के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद भाजपा के ही नेता विरोध में सक्रिय हो गए है। चंदेल को पद से हटाने की दिल्ली दौड शुरू हो गई है। पार्टी के भीतर जयचंद की संख्या बढ़ गई है। चंदेल के परफार्मेस सहित कई रिर्पोट संगठन के प्रमुख लोगों तक पहुंचा दी गई है। बताया जाता है कि चंदेल को देश के सबसे बड़े ताकतवर नेता का समर्थन मिल गया है। कई नेताओं ने पार्टी में सक्रियता बढ़ाने की सलाह दी है। दूसरी तरफ रमेश बैस के निकट रिश्तेदार दुर्ग सांसद विजय बघेल को तवज्जो देने दबाव बढ़ गया है।

तिरछी-नज़र@रामअवतार तिवारी, सम्पर्क-09584111234

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