जीवनदीप समिति के कर्मचारियों ने शुरू की भूख हड़ताल

कोरबा 20 जनवरी। कलेक्टर दर पर वेतन देने की मांग कर रहे जिला अस्पताल के जीवनदीप समिति के कर्मचारियों ने आज से अनशन शुरू कर दिया है। उनकी दो अन्य मांगें भी एक दिन पहले अधिकारियों की बैठक में औपचारिक बातचीत की गई और कर्मचारियों को झुनझुना थमाने की कोशिश की गई। कर्मचारियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। कर्मचारियों के तेवर से जिला अस्पताल की बेपटरी हुई व्यवस्था जस की तस कायम है।

जिला अस्पताल में जीवनदीप समिति के 76 और पीएचसी कोरबा सहित अन्य स्थानों पर 49 कर्मी शामिल हैं जो एक दशक के आसपास से काम कर रहे हैं। तब से अब तक इनके वेतन और सुविधाओं को लेकर कोई पुनरीक्षण नहीं किया गया है। उपर से नए-नए काम इनके हिस्से में थमा दिए जा रहे हैं। वाहन चालन, ओपीडी, काउंटर, मेल.फिमेल वार्ड, प्रयोगशाला, फार्मेसी व दूसरी इकाईयों में इन कर्मचारियों की सेवाएं मिलती रही है। नियमित कर्मियों के वेतन और महंगाई भत्ते सहित दूसरे हित का संवर्धन होने के साथ जीवनदीप के कर्मियों ने अपनी सुध लेने के लिए आवाज बुलंद की। दिसंबर में चार दिन की हड़ताल के बाद कहा गया था कि 15 जनवरी तक इनकी मांगों पर विचार करने निर्णय लिया जाएगा। इस बार खास प्रगति नहीं होने पर तीन दिन से कर्मी हड़ताल पर हैं। खबर के अनुसार इस बीच कलेक्टर, सीएमएचओ और सिविल सर्जन ने बैठक की। इसमें तय किया गया कि 10 वर्ष से अधिक काम कर रहे कर्मियों को एक हजार रुपए, 10 वर्ष से कम की सेवा वालों को 500 रुपए अधिक वेतन दिया जाएगा। बाकी के बारे में कोई विकल्प नहीं दिया गया। चतुर्थ श्रेणी कर्मी के माध्यम से यह सूचना मिलने पर हड़ताल कर रहे कर्मचारी भड़क गए और उन्होंने सिविल सर्जन के आदेश को अमान्य कर दिया। इसी के साथ आज से जीवनदीप समिति के कर्मचारियों की भूख हड़ताल अस्पताल परिसर में शुरू हो गई। इनमें काफी संख्या में महिला कर्मी भी शामिल हैं। सभी का कहना है कि वेतनवृद्धि, अवकाश और मेडिकल कॉलेज हास्पिटल में रिक्त पदों पर पहले हमारी नियुक्ति की जाए और बचे हुए पदों पर वेकेंसी निकाली जाए। इसके बिना वे काम पर नहीं लौटने वाले हैं। कर्मचारियों के लगातार तीसरे दिन ड्यूटी से बाहर होने के कारण दिसंबर की तरह एक बार फिर व्यवस्था बाधित हुई है।

एक तो मेडिकल कॉलेज से संबंधित कई तरह की पेचिदगियां बनी हुई हैं और ऐसे में कर्मचारियों के हितों को लेकर टकराव पेश आ रहा है। इसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। जिला अस्पताल में इन दिनों मौसमी बीमारी से लेकर अन्य मामलों से संबंधित लोग पहुंच रहे हैं। वैकल्पिक रूप से मरीजों के पंजीकरण के लिए उन कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है जो कम्प्यूटर पर काम करने में दक्ष नहीं हैं। परिणाम यह हो रहा है कि इस कामकाज को मैनुअल तरीके से किया जा रहा है और इसमें ज्यादा समय जाया हो रहा है। इसके चलते ओपीडी के सामने मरीजों की लाइन लग रही है और उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।

सूचनाओं के अनुसार जीवनदीप समिति के जरिए अलग-अलग मदों में हर महीने जिला अस्पताल को लगभग 8 लाख रुपए प्राप्त होते हैं और इसके एवज में संबंधित मैनपावर व संसाधन पर लगभग 11 लाख रुपए का खर्च करना पड़ता है। इस चक्कर में समस्याएं ज्यादा है। सवाल यह भी है कि जब जिला खनिज न्यास से बड़े.बड़े काम संपन्न हो रहे हैं तो जीवनदीप समिति के अंतर्गत 8 घंटे से ज्यादा काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन और सुविधाओं में बढ़ोत्तरी करने में आखिर दिक्कतें क्या हो सकती है। यह सवाल भी बार-बार खड़ा हो रहा है और कर्मचारी इसी को लेकर अधिकारियों की घेराबंदी कर रहे हैं।

बीते साल कोविड कालखंड के दौरान जिला अस्पताल में जिला खनिज न्यास मद से रखे गए कई चिकित्सकों के आउटपुट को लेकर भी विवाद की स्थिति निर्मित हुई थी और प्रशासन को अनेक मौकों पर निरीक्षण करने के साथ नोटिस थमाने पड़े थे। सर्व विदित है कि डीएमएफ से जिला अस्पताल में कई डॉक्टर ऐसे रखे गए हैं जिन्हें दो लाख या इससे ज्यादा की राशि का भुगतान किया जा रहा है लेकिन मरीजों को इसका कितना फायदा मिल रहा है यह स्पष्ट नहीं है। उपर से चिकित्सकों की टाइमिंग पर भी प्रश्रचिन्ह लग रहे हैं। ऐसे में समझ से परे है कि डीएमएफ इनकी सेवा ले रहा है या इन्हें उपकृत कर रहा है।

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