ऊर्जाधानी भू-विस्थापित सन्गठन के आंदोलन को विधायक ने किया समर्थन
कोरबा 7 नवम्बर। रोजगार, मुआवजा और बसाहट से जुड़ी हुयी 15 सूत्रीय मांगो को लेकर ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा अनिश्चितकालीन आंदोलन को विस्तार देते हुए अब बारी-बारी से एक एक दिन के अंतराल में जिले के चारो कोयला परियोजनाओ को बंद कराने का निर्णय लिया गया है । दीपका परियोजना से 8 नवम्बर को बन्द की शुरुआत किया जा रहा है इसके बाद 10 को गेवरा,12 को कुसमुंडा और 14 नवम्बर को कोरबा क्षेत्र के ढेलवाडीह खदान को बन्द करने की चेतावनी दी गयी है। इससे पहले अपनी पूर्व के निर्णय के अनुसार ऊर्जाधानी सन्गठन के श्यामू जायसवाल,संतोष दास महंत, रविन्द्र जगत ,कुलदीप सिंह राठौर राजराम के एक प्रतिनिधि मंडल द्वारा क्षेत्रीय विधायक पुरुषोत्तम कंवर से मुलाकात कर मांगो की प्रतिलिपि सौंपते हुए आंदोलन में भागीदारी दिखाने की अपील किया गया। सन्गठन के प्रतिनिधियों को विधायक ने अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा कर दिया है ।
सन्गठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कहा है कि आंदोलन को विधायक के समर्थन से और मजबूती मिलेगी । उन्होंने आगे बताया कि अलग अलग परियोजना में होने वाले बन्द के लिए सन्गठन के क्षेत्रीय पदाधिकारियों के नेतृत्व में साथियो को जिम्मेदारी दी गयी है । आंदोलन को क्षेत्र के सभी सरपंच, जिला व जनपद सदस्यो ने अपना समर्थन दिया है। इसके बाद सासंद व जिले के दूसरे जनप्रतिनिधियों से भी समर्थन की अपील के साथ मिलने के लिए जाने वाले हैं । साथ ही विपक्ष के नेताओ से भी सम्पर्क किया जाएगा । उन्होंने एसईसीएल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिनकी जल,जंगल,जमीन पर खदान संचालित है उन आदिवासी और मूल निवासियों की सुध लेने की फुर्सत नही है। देश मे कोयला संकट आने पर पूरा कोल इंडिया और कोयला मंत्रालय कोरबा की ओर देखता है पर इन कोयला खदान के कारण अपनी गांव, अपनी जमीन खोने वाले परिवारों की चिंता नही किया जाता जो विगत 60 सालों से अपने ही धरती पर हासिये में रहते आ रहे हैं। नई-नई नीतियों और पालिसी बनाकर रोजगार छीना गया है किंतु रोजगार के बदले दूसरे उपायों के माध्यम से जीवन स्तर सुधारने का प्रयास तक नही किया जा रहा है। मुआवजा की रकम नाकाफी है और बसाहट स्थल के लिए जमीन का रोना-रोया जा रहा है। बसाहट के बदले दी जाने वाली रकम भी बहुंत कम है। उन्होंने कहा कि एसईसीएल और प्रशासन जानबूझकर बसाहट की समस्या को बढाना चाहती है ताकि बसाहट में दी जाने वाली आजीवन सुविधा से बच सके इसी तरह से रोजगार को समाप्त कर देना चाहते है।
एसईसीएल के चारो क्षेत्रो में क्रमशः एक एक दिन के अंतराल में खदान बन्दी आंदोलन को कामयाब बनाने के ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के पदाधिकारियों और ग्रामीणों की बैठक किया जा रहा है। एसईसीएल के वादा खिलाफी के कारण लोंगो में इतना आक्रोश है। धान कटाई के काम मे दिनभर व्यस्त रहने और थके होने के बावजूद शाम रात को होने वाली बैथको में बड़ी संख्या में महिला और पुरुष जुट रहे हैं।