राजस्थान और कोल इंडिया के मध्य बकाया भुगतान को लेकर आरोप प्रत्यारोप में क्या है सच?

नरेन्द्र मेहता

जयपुर 18 अक्टूबर। देश के कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में कोयला संकट और बिजली कटौती को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इसके लिये कौंन जिम्मेदार हैं.राज्य शासन या फिर कोल इंडिया. दरअसल यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब देश के कई ताप विद्युत संयंत्रों में कोयला संकट के कारण बिजली उत्पादन करने की समस्या खड़ी हो गई. कई राज्यो से यह बात सामने आई कि कोयले की कमी होने के कारण उनके बिजली घर बंद होने के कगार में हैं.साफ तौर पर न सही किन्तु इसारे इसारे में कोल इंडिया को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया.कोयले के लिए हाहाकार मचता देख केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को कोयला खदानों का दौरा करना पड़ा.इस गंभीर समस्या में राजस्थान में कोयला संकट का मामला इसलिए ज्यादा तूल पकड़ लिया क्योंकि बिजली कंपनियों को कोयला सप्लाई करने वाली कंपनी कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान ने पूरे साल कोयला नहीं लिया। छह सौ करोड़ रुपए का बकाया भी नहीं चुकाया और अब बारिश में अचानक कोयला मांगने लगे हैं जबकि बारिश के दिनों में खदानों में पानी भर जाता है।चेयरमैन की बात सामने आते ही कांग्रेस शासित राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का न केवल बयान बल्कि वो आंकड़े भी दिए कि कोयले का भुगतान कब कब दिया गया हैं. श्री गहलोत ने अपने बयान में बताया कि कोयला कंपनियों का कोई बकाया नहीं है। अग्रिम भुगतान किया गया है। राजस्थान सरकार कोल इण्डिया लिमिटेड एवं उसकी सहयोगी कंपनियों एनसीएल एवं एस ई सीएल को कोयले की आपूर्ति के लिए अग्रिम भुगतान सुनिश्चित कर रही है। भुगतान को लेकर किसी स्तर पर कोई देरी/ ढिलाई नहीं है।विद्युत एवं डीएपी आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा बैठक में सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि राजस्थान विद्युत उत्पादन लिमिटेड (आरवीयूएनएल) ने नेशनल कोलफील्ड्स लि. (एन सी एल) को सम्पूर्ण बकाया 393 करोड़ रूपए का भुगतान अगस्त 2021 में ही कर दिया है। राज्य सरकार कोयला आपूर्ति की देशव्यापी कमी एवं डीएपी की समय पर आपूर्ति को लेकर चिंतित है। केंद्र सरकार पर इनकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पूरा दबाव बनाए हुए है।गहलोत ने कहा कि प्रदेश में बिजली की सुचारू आपूर्ति के लिए हर स्तर पर बेहतरीन प्रबंधन किया जा रहा है। कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अधिकारियों को सिंगरौली एवं बिलासपुर में तैनात किया गया है। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों अतिरिक्त मुख्य सचिव, ऊर्जा एवं प्रमुख सचिव कृषि को दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय के लिए भेजा गया है।
सितम्बर 2021 से फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट के तहत अब कंपनी को नियमित रूप से कोयले की आपूर्ति का अग्रिम भुगतान किया जा रहा है। एनसीएल को 1 सितम्बर से 8 अक्टूबर तक 228 करोड़ रूपए का 8 अग्रिम भुगतान किया गया है। इसी प्रकार एसईसीएल के बकाया 50 करोड़ रूपए को कालीसिंध थर्मल में निर्धारित मात्रा से कम कोयले की आपूर्ति पर रिकॉन्सिलिएशन की प्रक्रिया के तहत जुलाई 2021 में समायोजित किया जा चुका है। साथ ही ही 135 करोड़ रुपए के बकाया का भुगतान इसी साल अगस्त माह में कर दिया गया है। इसके बाद से एसईसीएल को भी अग्रिम भुगतान सितम्बर 2021 से प्रारंभ कर दिया गया है। कंपनी को 6 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक करीब 92 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया है, हालांकि बीते माह की 27 तारीख को एसईसीएल ने एक पत्र के माध्यम से 277.61 करोड़ रूपए का भुगतान बकाया होने की जानकारी दी है। जबकि राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का वर्ष 2018 से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के तहत एसईसीएल पर 459 करोड़ रूपए के दावे का भुगतान अब तक लम्बित चल रहा है

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