मातृत्व दिवस पर मां के जज्बे और ममता को सलाम… अबोध बच्चों को घर में छोड़ कोविड-19 में कर रहीं समुदाय की सेवा
कोरबा। मां दुनिया के हर बच्चे के लिए सबसे खास और प्यारा रिश्ता है। कोरोना संक्रमण के दौरान लोग घरों में हैं, मगर उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ के लिए कोरोना वॉरियर्स के रूप में उभरी मां अपने कर्तव्य को पूरी मुस्तैदी से निभा रही है। घर से दूर ड्यूटी कर रही माताओं को अपने अबोध बच्चों की चिंता सताती है परंतु अपने फर्ज के आगे वह बच्चों को घर में छोड़कर लोगों की जिंदगी बचाने अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं।
उस मां के सम्मान का विशेष दिवस मदर्स-डे (मातृत्व दिवस) पर बातचीत में इन माताओं की पीड़ा उभरी परंतु उनकी कर्तव्य परायणता के आगे यह पीड़ा दिखी नहीं। माताएं इस कोरोना काल को चुनौती मानकर अपने काम और घर के बीच सामंजस्य बैठाते हुए मोर्चे पर डटी हुई हैं।
0 घर पर बच्चे को छोड़ना, बड़ी परेशानी –
जिला अस्पताल में ऑडियोलॉजिस्ट कार्यरत डॉ. ज्योति बाला की डेढ़ साल की बच्ची है। सामान्य दिनों में दुधमुंही बच्ची को घर में काम करने वाली बाई (आया) के भरोसे छोड़कर ड्यूटी करना पड़ता है। कोरोना संक्रमण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से आया भी घर पर नहीं आ रही है, ऐसे में ड्यूटी पर जानाचुनौति बन गई है। डॉ. ज्योति बताती हैं कि कुछ दिनों से ईएनटी विभाग में भी ओपीडी शुरू कर दी गई है। हालांकि मरीजों की संख्या कम है फिर भी बच्ची को देखने वाला कोई नहीं है इसलिए बच्ची के साथ ही ओपीडी की जानकारी ले रही हैं। जब से कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ है तब से वह अपने क्लीनिक नहीं जा रही हैं। 20 मार्च से पति की ड्यूटी भी कोविड स्पेशल टीम में लग गई जिससे वह भी उन्हें सहयोग करने में असमर्थ हैं। घर पर आने पर भी उनसे दूर रहते हैं। इन तमाम मुसीबतों के बावजूद भी डा. ज्योति 0 से 5 साल के बच्चों को बोलने, सुनने में मदद को जुटी हैं। बच्ची की देखभाल और ड्यूटी की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं।
0 बच्चों की चिंता सता रही
जिला अस्पताल में सीनियर लैब तकनीशियन भगवती कोसले कोविड-19 संक्रमण के दौरान ब्लड बैंक में ब्लड ट्रांसफ्यूजन, एलाइजा जांच में पूरी मुस्तैदी से सेवाएं दे रही हैं। उनके दो छोटे बच्चे हैं। बूढ़ी सास जिन्हें खुद ही सेवा की जरूरत है, उनके पास बच्चों को छोड़कर आना पड़ता है। कोरोना की वजह से ब्लड बैंक में रक्त की कमी ना हो इसके लिए अतिरिक्त कार्य करना और टेस्ट भी करना पड़ रहा है। ऐसे में घर जाने का कोई समय निर्धारित नहीं रहता। भगवती कोसले बताती हैं कि घर जाने के बाद भी बच्चों से सीधे जाकर नहीं मिलती। पूरी सावधानी के बाद भी बच्चों को कहीं संक्रमण ना हो जाए, इसकी चिंता रहती है। बच्चों से थोड़ी दूरी बनाकर रहना उनकी मजबूरी है। भगवती कहती हैं इस मुश्किल की घड़ी में उन्हें समुदाय के लिए कार्य करने का मौका मिला है इसलिए खुद को भाग्यशाली मानती हैं।
0 इसलिए मनाया जाता है विशेष दिवस
संयुक्त राज्य अमेरिका में मातृ दिवस समारोह को पहली बार 20वीं शताब्दी में एना जार्विस ने मनाया था। 1912 में पहली बार अमेरिका में इस विशेष दिवस की शुरूआत हुई थी। एना जर्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं। मां की मौत के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इसकी शुरूआत की जिसे बाद में 10 मई यानि मई के दूसरे रविवार को पूरी दुनिया में मनाने की परंपरा है।