ये तेरा घर…ये मेरा घर… ये घर बहुत हसींन हैं… अट्ठारह सौ से अधिक परिवारों का अपने घर का सपना हुआ साकार

कोरबा 08 दिसंबर 2020. ये तेरा घर… ये मेरा घर… ये घर बहुत हसींन हैं… प्रसिद्ध गीतकार, कवि और लेखक जावेद अख्तर की ये पंक्तियां छत्तीसगढ़ के कोरबा नगर निगम क्षेत्र में निवास करने वाले गरीब परिवारों के लिए यथार्थ बन गई है। गरीब हो या अमीर हर इंसान अपनी आंखों में अच्छे और सर्व सुविधा संपन्न घर में रहने का सपना संजोता है। कोरबा के नगर निगम क्षेत्र में कच्ची झोपड़ियों में रहने वाले गरीब लोगों का अपने घर का सपना मोर जमीन – मोर मकान कार्यक्रम ने साकार कर दिया है। सरकारी मदद से अभी तक एक हजार 129 गरीब परिवारों की कच्ची झोपड़ियां इस कार्यक्रम के तहत पक्के मकानों में तब्दील हो चुकी हैं और 735 ऐसे ही परिवारों के पक्के मकान बन रहे हैं। रिक्शा चालक या गुमटी चलाने वाले या मैकेनिक या छोटी परचून की दुकान करने वाले गरीब तबके के लोगों की पक्के मकानों की चिन्ता अब खतम हो गई है। मकान बनाने की चिन्ता छोड़ अब ऐसे सभी लोग बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ दूसरे कामों में पैसे लगाने की सोचने लगे हैं।

प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत मोर मकान-मोर जमीन कार्यक्रम में मिलने वाली लगभग दो लाख 28 हजार रूपये की राशि कच्चे मकानों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए किसी लाटरी से कम नहीं है। दैनिक रोजी-रोटी पर निर्भर ऐसे लोग जिनके लिए स्वयं का खर्च वहन कर पाना और परिवार का भरण-पोषण कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में पक्के मकान का सपना पूरा होना उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। योजना के तहत कोरबा नगर निगम के विभिन्न वार्डों में 1864 मकान स्वीकृत किये गये हैं। जिनमें से एक हजार 129 पक्के मकानों का निर्माण पूरा हो गया है और 735 मकान निर्माणाधीन है। वार्ड क्रमांक दो के निवासी अजीत श्रीवास्तव भी इस योजना से लाभान्वित होने वाले हितग्राही हैं। अजीत बताते हैं कि झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहकर बड़े पक्के मकान की ख्वाहिश थी। गुमटी लगाने वाला छोटा व्यवसायी हूं। मकान के पहले व्यवसाय बढ़ाने की भी चिन्ता थी। शासकीय योजना से सहायता मिली और मेरी जमीन पर कच्चे मकान की जगह अब पक्का मकान बन गया है। सर्वसुविधायुक्त मकान में रहने के सुख के साथ अब पूरा ध्यान अपने व्यवसाय को बढ़ाने पर लगा रहा हूं। एक अन्य हितग्राही हीरालाल केशरवानी बताते हैं कि कच्चे मकान में रहते-रहते पक्का मकान बनाने के लिए थोड़ा-थोड़ा कर पैसे जोड़ रहा था। मंहगाई के इस दौर में रहने लायक पक्का मकान बनाने में न जाने कितना समय लगता। मोर जमीन-मोर मकान योजना के तहत पक्का घर बनाने के लिए सरकारी मदद मिली और सभी सुविधाओं वाला मेरा पक्का मकान बन गया। श्री केशरवानी अब अपने घर के लिए जमा किये गये रूपये अब अपने बच्चों की अच्छी पढ़ाई पर खर्च कर रहे हैं।

वार्ड क्रमांक 29 के निवासी मोटर मैकेनिक जीवराखन ठाकुर का भी पक्का मकान मोर जमीन-मोर मकान योजना के तहत सरकारी मदद से बना है। श्री जीवराखन बताते हैं कि कच्चे झोपड़ीनुमा मकान की हर साल मरम्मत पर काफी पैसा खर्च होता था। इसके बाद भी बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता था और कई परेशानियां होती थी। नगर निगम के माध्यम से शासकीय योजना में पक्का मकान बनाने के लिए राशि मिली तो अब मेरा भी पक्का मकान तैयार हो गया है। अब हर साल मरम्मत की चिन्ता भी खतम हो गई है। परिवार के दूसरे सदस्य भी पक्के मकान में रहकर खासे खुश हैं। आस-पड़ोस में भी मान प्रतिष्ठा बढ़ गई है।

Spread the word