नगर पालिक निगम में सामान्य सभा: एक्सीडेंटल सभापति कहने पर सदन में हंगामा, जवाब में बोले ठाकुर-सदन के लिए होगा लाभदायक

कोरबा 27 मार्च। नगर पालिक निगम के छठवें कार्यकाल का विधिवत शुभारंभ गुरुवार को सामान्य सभा से हो गया। निगम के नए सभागार में यह आयोजित हुई। पहली ही सभा में हंगामा की स्थिति तब निर्मित हो गई जब अपने स्वागत अभिभाषण में भाजपा पार्षद और पूर्व सभापति अशोक चावलानी खड़े हुए। उन्होंने कई बातें रखी और मौजूदा सभापति के लिए एक्सीडेंटल शब्द का उपयोग किया।
इस पर विपक्ष ने हंगामा काटा। उसकी मांग थी कि इस प्रकार के शब्दों के लिए माफी मांगी जाए, लेकिन इस पर हुआ कुछ नहीं। 15 फरवरी को नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हुए। जिसके बाद नई कार्यकारिणी के गठन के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की गई। पिछले दिनों सभापति के चुनाव में भाजपा के बागी नूतन ठाकुर को जीत मिली जबकि अधिकृत प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल को 18 वोट के साथ पराजय का सामना करना पड़ा। सभापति चुनाव के बाद दांवपेच और जांच के बीच आज पहली सामान्य सभा रखी गई। इसी अवसर पर बजट भी पेश किया गया। सामान्य सभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। महापौर संजूदेवी राजपूत अपने साथ बजट का ब्रीफकेश लेकर पहुंचीं। उनके साथ भाजपा के पार्षदों ने प्रवेश किया। बाद में अन्य पार्षदों की एंट्री हुई। निगम सचिव द्वारा आवश्यक चर्चा करने के बाद सदन को शुरू करने की घोषणा सभापति नूतन ठाकुर द्वारा की गई। उन्होंने संक्षिप्त में अपनी बात रखी।
इसके पश्चात् अभिभाषण की बारी आई तो भाजपा के वरिष्ठ पार्षद अशोक चावलानी आगे आए। उन्होंने नगर निगम की परंपरा और मौजूदा कार्यकाल में पार्षदों की अपेक्षा को लेकर अपनी बात तो रखी ही साथ ही सभापति को एक्सीडेंटल बताया। चावलानी का इतना कहना था कि विपक्ष के पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने इसे आपत्तिजनक बताया। विपक्षी पार्षद अपने स्थान से खड़े हुए और नारेबाजी शुरू कर दी। वे इस बात पर अड़े थे कि सभापति के लिए इस तरह की बात नहीं होना चाहिए और अशोक चावलानी इसके लिए माफी मांगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उल्टे सत्ता पक्ष नरेंद्र देवांगन और अन्य पार्षदों ने कई विषय पर अपने तर्क दिए। पूरी आवाज के साथ जब ऐसी बातें कही गई तो सत्तापक्ष ने मेज थपथपाई और स्वागत किया। मजेदार बात यह रही कि विपक्ष के लोग अलग-अलग मुद्दों पर टकराव की मुद्रा में नजर आए जबकि सभापति मुस्कुराते रहे। अपने लिए एक्सीडेंटल शब्द कहे जाने पर उन्होंने संक्षिप्त में इतना कहा- एक्सीडेंटल सभापति होना भी सदन के लिए काफी लाभदायक साबित होगा। काफी देर तक एक ही मुद्दे पर बात अटकी रही और गतिरोध बना रहा। बाद में इसे टालने के लिए व्यवस्था दी गई। तब कहीं जाकर हालात सामान्य हो सके। इसके पश्चात् प्रथम सभा के लिए तय किए गए मुद्दे सामने आए और बारी-बारी से उन्हें पढ़ा गया व चर्चा हुई। सर्वसम्मति के आधार पर ऐसे बिंदुओं का पारित होना स्वाभाविक था।
भाजपा की वापसी के साथ नगर निगम में मीडिया के लिए दरवाजे खुल गए हैं। इसमें पूरे 10 साल का समय लगा। प्रथम तीन कार्यकाल में भाजपा के महापौर रहे तब सामान्य सभाओं में मीडिया को प्रवेश की अनुमति रही। बाद में कांग्रेस ने अपने कार्यकाल के इस व्यवस्था को बंद कर दिया था। इसे लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। अब जबकि भाजपा के महापौर बने हैं तब निगम की कार्यवाही को कवर करने के लिए मीडिया को एंट्री देना शुरू हुई है। भाजपा नेताओं ने कहा कि पारदर्शिता से काम होने चाहिए। इस दिशा में व्यवस्था है।