छत्तीसगढ़ में प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से जारी ऑनलाइन सट्टे पर हाईकोर्ट सख्त, गृह सचिव से माँगा व्यक्तिगत शपथपत्र

जनहित याचिका की अगली सुनवाई पर सट्टोरियों- कारोबारियों और खिलाड़ियों की नजर

बिलासपुर: देश में ऑनलाइन सट्टा गेमिंग कारोबार के लिए छत्तीसगढ़ अच्छी खासी शरणस्थली साबित हो रहा है। यहाँ कई कंपनियां ग्राहकों-खिलाड़ियों को रोजाना करोड़ों का चूना लगा रही है। राज्य में सट्टे पर प्रतिबंध के बावजूद ऐसी कंपनियों पर नकेल कसने के मामले में शासन-प्रशासन कभी सक्रिय तो कभी नाकाम साबित हो रहा है। लिहाजा बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने सख्ती दिखाई है।

हाईकोर्ट ने राज्य के गृह सचिव से जवाब मांगा है। अदालत ने सट्टा कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है। सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। जनहित याचिका को संज्ञान में लेकर कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मसले को न्यायालय की रजिस्ट्री में दाखिल किया जाए और अभिलेख पर लाया जाए, इसकी प्रति राज्य अधिवक्ता को भी दी जाए।

कोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य के गृह विभाग के सचिव को मामले में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य में ऑनलाइन सट्टा पर पाबंदी के बावजूद धड़ल्ले से कारोबार जारी है, इस पर रोक लगाने की मांग अदालत से की गई है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव की ओर से एडवोकेट वैभव तिवारी एवं अमृतो दास ने अदालत में अपने तर्क रखे।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमृतो दास ने कोर्ट को जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ राज्य ऑनलाइन सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगाता है, पैरा 8.6 में बताए अनुसार प्रतिवादी कंपनियां छत्तीसगढ़ राज्य में लगाए गए प्रतिबंध का उल्लंघन कर रहे हैं और उन्होंने कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें हाल ही में चल रहे आईपीएल के संबंध में कुछ विज्ञापन शामिल हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए 24 घंटे का समय मांगा है।

उधर राज्य की ओर से अदालत में उपस्थित महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत और उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर, अधिवक्ता तुषार धर दीवान ने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने राज्य के गृह सचिव से जवाब मांगा है। इस मामले में उन्हें अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए है। सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया कि राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाजी पर प्रतिबंध-रोक के बावजूद कई कंपनियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए खुलेआम सट्टेबाजी कर रही हैं, लोगों को महज कुछ रुपए दांव लगाने पर करोड़ों रुपए जीतने का प्रलोभन दिया जा रहा है।

याचिका में ऐसी कंपनियों का हवाला देते हुए उनके कारोबार से जुड़े दस्तावेज भी पेश किए गए थे। इसमें वर्तमान में जारी आईपीएल से जुड़े विज्ञापन भी शामिल किये गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को तय की गई है। जानकारी के मुताबिक देश-विदेश से संचालित ऑनलाइन सट्टे के खिलाफ पुख्ता कार्यवाही नहीं होने से इंटरनेट पर ऐसी कंपनियां छा गई है, दर्जनों कंपनियों के लिए छत्तीसगढ़ लूट का अड्डा बन गया है।

15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले के उजागर होने के बावजूद कई कंपनियां धड़ल्ले से प्रदेश में रोजाना करोड़ों का ऑनलाइन सट्टा कारोबार कर रही है। बताया जाता है कि डिजिटल फ्रॉड रोकने और ऑनलाइन सट्टा यूजर्स पर पाबंदी के लिए केंद्र और राज्य सरकार सालाना करोड़ों खर्च कर रही है, बावजूद इसके खिलाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, वही डिजिटल ‘क्लेवेर्नेस’ से सट्टा कंपनियों का मुनाफा भी आसमान छू रहा है।

इधर ऑनलाइन सट्टा गेम में नाकामी हाथ लगने के बाद कई खिलाड़ी और उनका घर-परिवार आर्थिक तंगी के हालातों से गुजर रहा है। फ़िलहाल, सटोरियों-कारोबारियों और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की नजर अदालत की अगली सुनवाई पर लगी हुई है।

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