फिर डॉ. महंत का घाव हुआ हरा

न्यूज एक्शन । ”हमें तो अपनों ने लूटा है, गैरों में कहां दम था, हमारी कश्ती वहां डुबी जहां पानी कम थाÓÓ शायरी की यह पंक्तियां अपनों से धोखा खाने वालों का दर्द बयां कर देती है। राजनैतिक गलियारे में कुछ इसी तरह का दर्द पीसीसी चुनाव समिति अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत को भी विगत चार वर्षो से कसकने की चर्चा बनी रहती है। पिछले लोक सभा चुनाव में मिली हार को शायद डॉ. चरणदास महंत भुला भी दें, लेकिन कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले कोरबा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को मिली भारी भरकम बढ़त को वे भुला नहीं पा रहे है। रह रह कर यह कसक पीड़ा के रूप में उभर कर आ जाती है। आखिर किस कारण से कांग्रेस के गढ़ में उन्हें पीछे होना पड़ा। इसके कारणों की तलाश करते हुए उनकी खुद की नजर में कई अपने बेपर्दा हो गए। अपना दर्द किससे बयां करें जो जख्म थे वो नासूर बन गए । लोकसभा चुनाव के बाद नगरीय निकाय का चुनाव हुआ जिसमें भाजपा के 15 वर्ष के विजय रथ को रोककर कांग्रेस ने अप्रत्याशित जीत हासिल की थी। कोरबा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पिछडऩे का कारण चार साल से तलाश रहे है लेकिन वह कारण उन्हें मिल नहीं रहा है। डॉ. महंत सुलझे हुए राजनीतिज्ञ और चुनावी बिसात के माहिर खिलाड़ी है वे अपना पराया परखने के साथ भीतरघात की रगरग से वाकिफ है।

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