हसदेव अरण्य में फिर शुरू हो गई पेड़ों की कटाई,

कोरबा 30 अगस्त। और अंततः हसदेव अरण्य में हरे भरे पेड़ों की कटाई फिर शुरू हो गई है। यानी हसदेव के साथ कोरबा, जांजगीर चाम्पा, सक्ति और रायगढ़ जिला के एक बड़े हिस्से को उजाड़ने की कोशिश फिर हो रही है।

हसदेव के जंगलों में कोयला खदानों के लिए आज फिर हजारों वृक्षों की कटाई शुरू हो गई है- हसदेव अरण्य को बचाना क्यों जरूरी है? वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सुदीप श्रीवास्तव के शब्दों में समझिए-


हमें हसदेव के जंगल को क्यों बचाना चाहिए

ये जंगल ही हमारे लिए बारिश लाते हैं।

ये जंगल ही बांगो डैम को भरते हैं।

बांगो डैम से 120 MW पन बिजली बनती है।

बांगो डैम से 4 लाख हेक्टेयर खेती सिंचित होती हैं।

हमारे खेतों, उद्योगों और घरों में बोरिंग के पानी का स्त्रोत हसदेव के जंगल हैं।

छत्तीसगढ़ के व्यापारी वर्ग की आर्थिक व्यवस्था का बड़ा हिस्सा हसदेव सिंचाई क्षेत्र और हसदेव जंगलों की वजह से भरपूर भूगर्भ जल से सिंचाई से किसानों की फसलों के उत्पादन पर निर्भर है

बिलासपुर में सौ सालों के लिए बनी अमृत मिशन योजना में हसदेव के जंगलों से ही पानी आएगा।

बगैर जंगलों वाली खदानों से भी कोयला निकाला जा सकता है।

सरकार का वादा है 2030 तक कोयले से बिजली आधी और 2070 तक कोयले से बिजली बनाना बंद कर देंगे।

ठेकेदार को फायदा है इसलिए हसदेव से खुदाई की अनुमति दी है।

हसदेव में हाथी और सैकड़ों वन्य पशु पक्षी रहते हैं।

हसदेव में सैकड़ों गांव हैं।

हसदेव नष्ट करके हमें बिजली नहीं चाहिए।

हसदेव के पानी से ही कोरबा के बिजलीघर चलते है। हसदेव के पानी से 10 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली घर चलते हैं।


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प्रथमेशसविता 9300635493 चंद्रप्रदीप बाजपेयी 98262 41042 साकेत तिवारी 92016 40000

साभार- सुदीप श्रीवास्तव के फेसबुक से आवश्यक तथ्य

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