महिलाओं द्वारा प्रताड़ित पुरुषों की आवाज बने अधिवक्ता प्रिंस.. कोरबा एसपी से किया यह निवेदन
कोरबा 30 जनवरी। कोरबा जिले के नौजवान अधिवक्ता प्रिंस अग्रवाल महिलाओं द्वारा प्रताड़ित पुरुषों की आवाज बनाकर आगे आए हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखते हुए निवेदन किया है कि जिस प्रकार महिलाओं द्वारा अपने पुरुषों की शिकायत करने पर पुलिस उसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्यवाही करती है, ऐसी ही तत्परता पुरुषों द्वारा महिलाओं के विरुद्ध दर्ज शिकायतों पर भी की जानी चाहिए। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14 का वर्णन करते हुए बताया कि भारत का कानून धर्म, वंश, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष दोनों को न्याय पाने का समान अधिकार प्राप्त है।
बता दे कि हमारे देश में, कार्यक्षेत्र से लेकर घर गृहस्ती तक, महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए अनेक कानून बनाए गए हैं। समाज में पूर्व में व्याप्त विकृतियों के कारण महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, शारीरिक शोषण आदि का शिकार होना पड़ता था जिनकी रोकथाम के लिए ढाल स्वरूप इन कानून को बनाया गया था। परंतु समय व सामाजिक परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ यह ढाल अब एक हथियार के रूप में इस्तेमाल की जा रही है। ऐसे अनेक उदाहरण है जहां महिलाओं के द्वारा की गई झूठी शिकायतों पर पुरुषों और उनके पूरे परिवार को पुलिस स्टेशन, न्यायालय तथा जेल तक जाना पड़ता है। देश की शीर्ष अदालतों के द्वारा भी झूठे प्रकरण की बढ़ती संख्या को देखकर चिंता जताई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तो यहां तक भी टिप्पणी कर दी गई है की वैवाहिक विच्छेद के प्रकरणों में आजकल तलाक के साथ साथ घरेलू हिंसा तथा दहेज प्रताड़ना जैसे 5 से 6 केस का पैकेज चलाया जा रहा है।
अमुमन यह देखा गया है कि महिलाओं द्वारा की गई शिकायत को पुलिस के द्वारा गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्यवाही की जाती है। वहीं जानकारों का भी कहना है कि वर्तमान में प्रचलित कानूनों का झुकाव महिला पक्ष की ओर ज्यादा है और पुरुष पक्ष की सुनवाई कम ही होती है। पुरुषों की इसी पीड़ा को रेखांकित करते हुए अधिवक्ता प्रिंस अग्रवाल ने कहा है की पुरुष भी मानसिक प्रताड़ना या घरेलू हिंसा का शिकार हो सकता है। उन्होंने कोरबा पुलिस अधीक्षक से निवेदन किया है कि जिले के समस्त थाना और चौकियों में पुरुषों द्वारा महिलाओं के विरुद्ध दर्ज कराई गई शिकायतों की समीक्षा कर उन्हें भी उतनी ही गंभीरता से लेते हुए त्वरित की जाए।