अबकी बार बण्ठाधार @ गेंदलाल शुक्ल
अबकी बार बण्ठाधार
बण्ठाधार- बण्ठाधार
अबकी बार बण्ठाधार
बड़े चाव से जिताया था
सिर- माथे बिठाया था
अपना बनाया था
सपना सजाया था
नैय्या लगाओगे
नदिया के पार
पर तुमने बहा दिया
हमको धारम- धार
अबकी बार बण्ठाधार
बण्ठाधार- बण्ठाधार
अबकी बार बण्ठाधार
हम सबने तो सोचा था
बगिया में फूल खिलाओगे
दुर्गंध भरे वातायन में
खुशबू- खुशबू फैलाओगे
लेकिन हाथ निराशा आई
आंखों में अंधियारी छाई
अब तुमको है धिक्कार
बारम्बार…- बारम्बार…
अबकी बार बण्ठाधार
बण्ठाधार- बण्ठाधार
अबकी बार बण्ठाधार
हाथ तुम्हारे खाली थे
बंधी हमारी मुट्ठी थी
आक्रोश की तेज आग में
तमतमाई भट्ठी थी
आहित्सा से आकर तुमने
अपनी रोटी सेंक ली
हम करते रहे चित्तकार
हाहाकार… हाहाकार…
अबकी बार बण्ठाधार
बण्ठाधार – बण्ठाधार
अबकी बार बण्ठाधार
गेंदलाल शुक्ल, कोरबा, 9827196048