हाले-हरियाणा: नशेमन पे बिजलियों का दौर

डॉ. सुधीर सक्सेना

दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा में सियासी फिजा बदल रही है। मतदाता मन बना चुका है। दौर बदलाव का है और इसका आभास सत्तरूढ़ दल को है। उसकी मुसीबतों का अंत नहीं है। उसकी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उसके अपने ही नशेमन पे बिजलियां गिराने पर आमादा हैं। मंडी से सांसद और सिने अभिनेत्री कंगना रनौत का बयान भाजपा के लिये पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित हुआ है। तीन कृषि कानूनों को फिर से लाने की समूचे राज्य में तीखी और प्रतिकूल प्रतिक्रिया हुई। हालात ऐसे बने की कंगना के बयान से पल्ला झाड़ना पड़ा। पार्टी द्वारा नीतिगत मुद्दों पर बयानबाजी से बरजने के बावजूद कंगना ने चुनावी – वेला में गैर जरूरी बयान दे डाला। बखेडा स्वाभाविक था। भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कंगना के बयान को अनधिकृत बताते हुये कहा कि यह उनका निजी बयान है, जिससे पार्टी का कोई लेनादेना नहीं है। उस बीच अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने कंगना को पार्टी से निकालने और उन पर एनएसए लगाने की मांग की डाली। लगे हाथों पंजाब में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, जिन्हें कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव का वरिष्ठ पर्यवेक्षक घोषित किया है, ने कहा कि बीजेपी अपने किसान-विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए रनौत का इस्तेमाल कर रही है।
कहावत है कि शब्द, तीर और गोली छूटने के बाद अपना असर दिखाते जरूर हैं। हरियाणा में बीजेपी नेतानों की बयानबाजी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है औरों की तो बात ही क्या, दस सालो तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अब केन्द्रीय सरकार में शरीक मनोहर लाल खट्टर भी इसी कतार में खड़े हो गये हैं। उन्होंने धरना-आंदोलन में शरीक किसानों को ‘फर्जी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि किसान का ‘मुखौटा’ पहनकर कुछ लोग व्यवस्था को खराब करना चाहते हैं और स्थापित सरकारों को अस्थिर करना चाहते हैं।
हरियाणा में चुनावी वेला में वीडियो की बहार भाई हुई है। अनुभवी खट्टर के बोल बीजेपी के लिए खट्टे साबित हो रहे हैं। कंगना के बयान- वापसी के वीडियो पर गौर करें तो कंगना के स्वरों में पश्चाताप का पुट नहीं है और वह नि:शर्त क्षमायाचना के बजाय कहती सुनाई दे रही है कि अगर उनके शब्दों और सोच से किसी को ‘डिसअपॉइन्ट’ हुआ हो तो उन्हें खुद रहेगा। वीडियो की रेलमपेल में इधर एक और वीडियो वाइरल हो रहा है और वह है राहुल गांधी का वीडियो। करीब साढ़े, तेरह मिनट के इस बीडियो में राहुल सैम पित्रोदा के साथ उन हरियाणवी युवकों से मिले, जो डंकी-रूट्स से वहाँ रोजी-रोटी के लिए पहुंचे। उनकी व्यथा-कथा सुनकर भारत लौटने पर राहुल हरियाणा में उनके परिजनों से मिल्ले और उनसे बातचीत की ये सारे वीडियो अपने-अपने तईं असर कर रहे हैं और कांग्रेस के पक्ष में जमीन गोड़ रहे हैं। एण्टी-एकबेन्सी ने यूं भी उसके लिए खाद और पहलवानों के साथ बीजेपी सरकार की बदसलूकी और उपेक्षा ने पानी का काम किया है। कांग्रेस ने बजरंग पूनिया को किसान मोर्च से जोड़कर अचूक चुनावी दांव खेला है और विनेश फोगाट को जुलाना से प्रत्याशी घोषित कर समूचे सूबे में एक बड़े समुदाय का समर्थन हासिल किया है। अपने एक इंटरव्यू में फोगाट ने कहा है कि राजनीति में उनकी एंट्री आप्शन नहीं, बल्कि वक्त की जरूरत थी। फोगाट ने कहा कि कोई भी स्त्री राजनीति करने के लिए सड़कों पर नहीं उतरेगी, अपने कपड़े नहीं फड़वायेगी और बाल नहीं खिंचवायेंगी। हमने बीजेपी को सांसद बृजभूषण के खिलाफ कारवाई का पूरा मौका दिया, लेकिन जब कोई ऐक्शन नहीं लिया गया तो हम दुबारा आंदोलन को बाध्य हुये। पूरी बीजेपी पार्टी ने बृजभूषण का साथ दिया और पहलवानों में झूठा साबित किया। जब हमने अवार्डों को गंगा में बहाने की बात कही तो कांग्रेस खुलकर हमारे साथ आई। ममता बनर्जी ने हमें बुलाया। अरविंद केजरीवाल हमारे बीच आये। बीजेपी हमारे आदोलन को राजनीति से प्रेरित नहीं कह सकती। बीजेपी ने कभी हमें मुसलमान कहा, तो कभी पाकिस्तान या खालिस्तान समर्थक कहा। वस्तुत: बीजेपी को स्वच्छ राजनीति में शामिल होने की जरूरत है। जुलाना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन उनका लक्ष्य संपूर्ण हरियाणा की विकास है। वह युवा एथलीटों के लिये सुरक्षित वातावरण बनाना चाहती है।

विनेश फोगाट राजनीति में नव-दीक्षिता है, लेकिन उनका अंदाज पेशेवर है। जुलाना पर सबकी नजर है और जुलाना की भांति तोशाम पर भी, जहाँ से कांग्रेस ने एक वक्त के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बंशीलाल के पौत्र अनिरुद्ध चौधरी को चुनावी दंगल में उतारा है। तोशाम में जंग रोचक-रोमांचक है, क्योंकि उनका मुकाबला चचेरी बहन श्रुति चौधरी से है। खेल-प्रशासक से राजनीतिज्ञ हुये अनिरुद्ध कहते हैं कि उनके मन में चाची किरण चौधरी और बहन श्रुति के लिये बड़ा सम्मान है। वह लोगों से कहते हैं कि चाची और बहन का आदर दीजिये, लेकिन वोट अपने भाई को दीजिये।
जुलाना या तोशाम ही नहीं, बेरोजगारी, अग्निवीर और पहलवानों से सलूक हरियाणा की सभी 90 सीटों पर प्रमुख मुद्दे है। खट्टर सरकार की दस साल की उपलब्धियां और राजशैली सर्वत्र जेरे-बहस है। तोशाम में बीजेपी के बागी उम्मीदवार शशि रंजन परमार उतरने को बीजेपी की संभावना में पलीता माना जा रहा है। परमार सन 2019 के चुनाव में रनर अप रहे थे, लेकिन इस दफा उनके दावे धता बता पार्टी ने श्रुति को प्रत्याशी घोषित किया।
हरियाणा में जातीय समीकरण बड़ा मायने रखते हैं। माना जाता है कि जाट और दलित समुदाय सत्ता की चाबी अपनी मुट्ठियों में रखते हैं। कांग्रेस को इस बार जाटों से बड़ी उम्मीद है। उसके पास भूपेंद्रसिंह हुड्डा के रूप में बड़ा और अनुभवी नेता भी है। हुड्डा ने अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं उठा रखी है। उन्हें अशोेक गहलोत, कमलनाथ, अजय माकन और प्रतापसिंह बाजवा का पूरा सहयोग मिल रहा है। हाल में वह बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुखविंदर मंडी को कांग्रेस में लाने में कामयाब रहे हैं। पार्टी के सूबा प्रमुख उदयभान भी उनके अनुकूल है। एक और बात उनके और कांग्रेस के हित में यह है कि महत्त्वाकांक्षी नेत्री एवं सांसद कुमारी शैलजा काग्रेस के लिये प्रचार हेतु मैदान में उतर आई है। कुमारी शैलजा दलित नेत्री हैं और बीजेपी ने उन्हें जाल फांसने के लिए खुलेआम ‘लासा’ फेंका था, लेकिन शैलजा जाल में आयी नहीं। उनका यह वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रही हैं कि कांग्रेस उनकी रंगों में है और जिस तरह उनके पिता पार्टी के तिरंगे में लिपट कर अंतिम यात्रा पर गये थे, वैसे ही वह जायेंगी।
हरियाणा में यू तो आप और बसपा भी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में है। जजपा और इनेलो का असर सीमित है। दोनों प्रमुख पार्टियों ने टिकट बांटने में जातीय समीकरणों का ध्यान रखा है। कांग्रेस ने कम्युनिस्ट पार्टी के लिये भिवानी की सीट छोड़ी है। सूबे की 17 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कांग्रेस ने 27 तो बीजपी ने 16 जाटों को टिकटें दी है। कांग्रेस ने दो बनियों, सात पंजाबियों और बिश्नोई, रोर और राजपूत समुदायों के एक-एक प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के पांच ब्राह्मणों के मुकाबले बीजेपी के 11 ब्राहमण मैदान में हैं। कांग्रेस और बीजेपी ने क्रमश: तीन और एक जाट सिख को उम्मीदवार घोषित किया है। ओबीसी की बात करें तो दोनों दलों ने 13-13 अहीर गुर्जर प्रत्याशी चुने हैं। कांग्रेस के 5 के मुकाबले बीजेपी ने दो मुस्लिम प्रत्याशी घोषित किये हैं। कांग्रेस ने एक खत्री और एक तेली को भी चुनावी मैदान में उतारा है। दोनों के दो-दो सैनी मैदान में है। जहा तक रण में वायदों का प्रश्न है, पार्टी के मुखिया, मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा जारी सात वायदे, पक्के इरादे शीर्षक घोषणापत्र बड़ा लोकलुभावन है। इसमें महिलाओं के लिए प्रतिमाह दो हजार रुपये भत्ते, वरिष्ठ नागरिकों को छह हजार रुपए पेंशन, 500 रुपये में गैस सिलेंडर, 25 लाख रु. तक उपचार, ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली, दो लाख भर्तियां और नि:शुल्क सौ गज भूखंड और पक्का मकान का प्रावधान है।
इस बीच कांग्रेस राज में मंत्री रहे, आफताब अहमद ने कहा है कि यदि हम हरियाणा में सत्ता में आये तो लिंचिंग रोकने के लिए कानून लाएंगे।

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