हाथी कोई समस्या नहीं बल्कि संरक्षित वन का आवश्यक अंग: प्रभात दुबे

कोरबा 16 सितंबर। सर्वप्रथम हम सबको यह समझना होगा कि हाथी कोई समस्या नहीं बल्कि संरक्षित वन का आवश्यक अंग है। कुछ दिनों से हाथी मानव.द्वंद्व की बात सामने आई है उसे वन अधिकारियों को समझकर आम लोगो को भी समझाना होगा। एक से दूसरे जंगल में खदेडऩा किसी समस्या का समाधान नहीं। हाथियों के भोजन, रहवास व प्रजनन संबंधी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए उन्हे सुरक्षा प्रदान करने में समझदारी है। इसके लिए वनमंडल व वन परिक्षेत्र के अधिकारियों में आपसी तालमेल आवश्यक है।

यह बात सरगुजा से पहुंचे हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे ने गजराज प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान कटघोरा वनमंडल के सभागार में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से कही। उन्होने वन परिक्षेत्र के बीट में कार्यरत वनपालों को हाथियों को वन परिक्षेत्र में रोके रखने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उन्होने कहा कि हाथी से सतर्क रहने के लिए ग्रामीणों को तभी कहा जाता है जब दल गांव के निकट आ जाती है। ऐसी परिस्थिति में लोगों में हड़कंप मच जाता है। इसके अलावा कौतूहलश हाथी को देखने के लिए भीड़ लग जाती है। इस तरह की समस्या से बचने के लिए सामान्य दिनों भी लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

बताना होगा कि कटघोरा वनमंडल अंतर्गत डीएफओ कुमार निशांत के मार्गदर्शन में कटघोरा वनमंडल के केंदई, एतमा नगर, पसान, जडग़ा में वर्तमान में हाथी विवरण एवं समस्या को दृष्टिगत रखते हुए एक कटघोरा वन मंडल कार्यालय में दिवसीय गजराज प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रभात दुबे हाथी एक्सपर्ट सरगुजा के द्वारा कटघोरा वनमंडल में हाथी संघर्ष को समझना और प्रबंधन पर आधारित प्रशिक्षण में हाथी के प्रकार, छत्तीसगढ़ में हाथी की वर्तमान स्थिति, संख्या, भोजन, हाथियों की पहचान, उनका जीवनकाल के संबंध में प्रेजेंटेसन पर आधारित प्रशिक्षण देकर विस्तृत जानकारी दिया। दोपहर बाद सत्र में हाथियों में समाजिक व्यवहार एवं संचार के तहत हाथी के ग्रुप विचरण की क्षेत्रावली, प्रजनन, आवृत्ति, समाज संगठन की जानकारी श्री दुबे जी के द्वारा दिया गया। बाद के सत्र में मानव हाथी संघर्ष के तहत मानव द्वंद्व के कारण,निदान एवं सुरक्षा के विभिन्न उपायों की जानकारी सरल भाषा में दी गई। उक्त एक दिवसीय गजराज हाथी प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीएफओ कुमार निशांत, कटघोरा एसडीओ संजय त्रिपाठी, एसडीओ पाली चंद्रकांत टिकरिया समस्त रेंज के रेंजर, डिप्युटी रेंजर, वनकर्मचारी, वन अधिकारी, वन प्रबंधन समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य तथा सभी परिक्षेत्र से हाथी मित्र के सदस्य लोग बडी संख्या में उपस्थित होकर प्रशिक्षण प्राप्त कर फिल्ड में होने वाले विभिन्न परेशानियों से सवाल जवाब कर समाधान कारक उपाय से रूबरू हुए।

प्रशिक्षण के अंत में परिक्षेत्र अधिकारी एतमा नगर मनीष सिंह द्वारा समस्त प्रशिक्षक, कर्मचारी,समिति अध्यक्ष एवं हाथी मित्रों का धन्यवाद ज्ञापित कर प्रशिक्षण समापन की घोषणा की। गौरतलब है कि कटघोरा वन विभाग द्वारा हाथी मानव द्वंद से बचाने लगातार जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। अब वनविभाग द्वारा हाथी प्रभावित गावों में जाकर ग्रामीणों को भी बचाव को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस प्रशिक्षण से ग्रामीणों में जागरूकता लाई जाएगी।

इन दिनों खेतों धान की फसल लहलहा रही है। ऐसे हाथियों के लिए यह मुख्य आहार बना हुआ है। चार माह के भीतर कटघोरा व कोरबा वनमंडल के प्रभावित क्षेत्र में 2,145 हेक्टेयर फसल को क्षति पहुंचाया है। वर्ष की शुरूआत से लेकर अब तक चार लोगों की जान भी जा चुकी है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण दौरान अधिकारियों से कहा गया कि वे लोगों को हाथियों से दूर रखने का हर संभव प्रयत्न करें। वनोपज संग्रहण के लिए अधिक से अधिक समिति गठित करें। जिनके माध्यम से आम लोगों को हाथियों के बारे समझाईस देना आसान हो।

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