भू-विस्थापितों ने प्रबंधन के खिलाफ खोला मोर्चा: आर्थिक नाकेबंदी कर रोका कोयला परिवहन

कोरबा 12 सितम्बर। साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सीएमडी समेत शीर्ष अधिकारियों की कार्यशैली नाराज 56 गांव के सैकड़ों भू-विस्थापित एकजूट होकर प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिए। आर्थिक नाकेबंदी करते हुए कुसमुंडा थाना के पास कोल परिवहन में लगी गाडिय़ों के पहिए रोक दिए। साथ ही खदान के अंदर प्रवेश कर गए और साइलो कोयला लोडिंग क्षेत्र का काम बंद कर दिया।

पिछले एक साल से भी अधिक समय से अपनी मांगो को लेकर छत्तीसगढ़ किसान सभा की अगुवाई में कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष भू.विस्थापित धरना आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान स्थानीय प्रबंधन के साथ कई बार वार्ता हुइ,ए पर केवल आश्वासन मिला। सकारात्मक पहल नहीं होने पर नाराज प्रभावितों ने अंतत: आर्थिक नाकेबंदी का रास्ता अख्तियार कर लिया। पूर्व घोषणा के मुताबिक सोमवार को सुबह 11 बजे काफी संख्या में भू-विस्थापित कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष एकत्र हुए और रैली निकाल कर कुसमुंडा थाना के पास कोल परिवहन की गाडिय़ों को रोक दिया। तीन अलग अलग स्थानों पर नाकेबंदी कई गई, इसलिए खदान से कोयला लेकर निकली गाडिय़ां भी रूक गई और कुसमुंडा से कोयला परिवहन का कार्य पूरी तरह ठप हो गया। इस आंदोलन की वजह से 500 से अधिक ट्रेलर लेकर गंतव्य तक नहीं पहुंच सके। शाम तक वार्ता की पहल शुरू नहीं हुईए तो आंदोलनकारियों ने अनिश्चितकाल आंदोलन की घोषणा कर स्थल पर बैठ गए।

अपनी मांगो पर अड़े भू.विस्थापित अपने साथ रसद लेकर गए थे और स्थल पर ही खाना बना कर खाया। आंदोलन को माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन किया है। वहीं आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, भू विस्थापित संघ के नेता रेशम यादव, दामोदर, रघु, संतोष राठौर, दिलहरण दास, कोमल खर्रे, देव कुमार पटेल, सुमेंद्र सिंह ठकराल, जय कौशिक ने भू.विस्थापितों ने संबोधित करते हुए कहा कि एसईसीएल पर भू. विस्थापितों का अब भरोसा नहीं रहा। एसईसीएल को लंबित प्रकरणों पर जमीनी स्तर पर काम करना होगा, ताकि जल्द परिणाम नजर आए। हर बार आंदोलन के बाद झूठा आश्वासन देकर प्रबंधन किसी तरह तत्कालिक तौर पर राहत प्राप्त कर लेती है। बाद में फिर वही रवैय्या अख्तियार कर लेते हैं। अब जब तक निर्णायक निर्णय भू. विस्थापितों के पक्ष में नहीं होगा, तब तक कोयला परिवहन बंद रहेगा। शाम तक वार्ता करने की पहल नहीं होने पर नाराज आंदोलनकारी खदान के अंदर जाकर साइलो व रेल लदान का काम बंद कर दिया। इससे लदान का काम भी बंद हो गया। यहां बताना होगा कि एक रैक कोयला लदान करने आधा घंटा का वक्त लगता है। तीन घंटे से भी ज्यादा समय से आंदोलन स्थल पर डटे हैंए ऐसी स्थिति में लगभग छह रैक कोयला लदान प्रभावित हुआ। उनका कहना है कि आंदोलन अनिश्चतकाल तक चलेगा। ऐसी स्थिति में कोयला लदान भी काफी प्रभावित होगा और विद्युत संयंत्र समेत उपक्रम को कोयला आपूर्ति नहीं हो पाएगी।

आर्थिक नाकेबंदी को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि भू.विस्थापितों के मसले निपटाने के लिए सीएमडी डा प्रेमसागर मिश्रा से हमने कई बार समय लेने का प्रयास किया, पर वे हमसे मिलना नहीं चाहते। इसका सीधा मतलब है कि जमीन लेने के बाद प्रबंधन को हमारी परेशानी से कोई लेना देना नहीं रहा। कोयला खदान प्रारंभ करने भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई के दौरान कई वादे किए गए, पर अब प्रबंधन ने मुंह मोड़ लिया है। हर हाल में अपना अधिकार लेकर रहेंगे। फिर चाहे आंदोलन को उग्र करना क्यों न पड़े। आर्थिक नाकेबंदी का सबसे ज्यादा असर लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले पर पड़ा। खदान से कोयला लेकर निकली रोड सेल की ट्रेलर सड़कों पर खड़ी रही। इसकी वजह से मार्ग में जाम लग गया। आर्थिक नाकेबंदी की वजह से न केवल कुसमुंडा की गाडिय़ां प्रभावित रही, बल्कि गेवरा, दीपका से रायगढ़ रूट में चलने वाली कोयला की गाडिय़ों के पहिए थमे रहे।

ये हैं प्रमुख मांगें:-वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार के पुराने लंबित मामलों निराकरण करने,पुराने अर्जित भूमि को मूल खातेदारों को वापसी करने,जरूरत होने पर पुन:अर्जन की प्रक्रिया पूरा कर पुनर्वास नीति के अनुसार भू विस्थापितों को लाभ देने, अर्जित गांव से विस्थापन से पहले उनके पुनर्वास स्थल की सर्वसुविधायुक्त व्यवस्था करने,आउट सोर्सिंग कार्यों में भू-विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने, महिलाओं को स्व रोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराने, पुनर्वास गांव में काबिज भू. विस्थापितों को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा देने, विजयनगर, नेहरु नगर, गंगानगर समेत सभी पुनर्वास गांव को पूर्ण विकसित माडल गांव बनाने।

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