आंगनबाड़ी केंद्रों में 01 से 13 सितंबर तक चलने वाली वजन त्यौहार शुरू

कोरबा 02 सितम्बर। शासन से जारी गाइड लाइन के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में एक से 13 सितंबर तक चलने वाली वजन त्यौहार शुरू हो गया है। 500 आंगनबाड़ी केंद्रों के तौल यंत्र खराब हैं। ऐसे में बिगड़े मेनुअल कांटों से ही काम चलाया जा रहा है। समूह के कार्यकर्ताओं की ओर से आवेदन किए जाने के बाद भी तौलयंत्र का सुधार नहीं किया गया है। वजन का सही आकलन नहीं होने की वजह से कुपोषण मुक्ति के लिए चलाया जा रहा अभियान महज औपचारिक हो रहा है।

जिले में वजन त्यौहार तो शुरू कर दिया गया है, लेकिन बिगड़े तौल यंत्रों को सुधारने की दिशा में लंबे समय से काम नहीं किया गया है। केंद्रों में दो तरह के तौल यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं जिसमें इलेक्ट्रानिक व शाल्टर यंत्र शामिल है। इलेक्ट्रानिक तौल यंत्र की विशेषता यह है कि इसमें चिप्स लगा होता है जिससे दो किलो से भी कम वजन के बच्चे को तौला जा सकता है। शाल्टर मशीन से साल भर से अधिक आयु के बच्चे का वजन तौलना संभव है। जामपानी, कुटेलामुडा, पसरखेत आदि ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं जहां इलेक्ट्रानिक कांटा खराब होने की वजह से शाल्टर कांटा से तौल की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ के जिला अध्यक्ष वीणा साहू का कहना है कि खराब हो चुके तौल यंत्र के संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचना दी जा चुकी है। इसके बाद भी सुधार नहीं किया गया है।

इलेक्ट्रानिक वजनमापी यंत्र वर्तमान में ऐसे केंद्रों को प्रदान किया गया है जहां विद्युत की सुविधा है जबकि उन केंद्रों को यंत्रोंं से वंचित रखा गया है जहां अब तक विद्युत आपूर्ति नहीं हुई है। ऐसे में दूर दराज वनांचल गांव से कुपोषित बच्चों की सही जानकारी मिलने में असुविधा हो रही है। इस संबंध में जानकारी क लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रीति खोखर चखियार से उनके मोबाइल पर संपर्क किया लेकिन उन्होने काल रिसीव नहीं की सही कुपोषण दर का आकलन ज्यादातर वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों से नहीं आता। ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंंद्रो के मेनुअल बिगड़े पड़े है। प्रति तीन माह में वजन त्यौहार का आयोजन किया जाता है। जिसमेंं पूरे परियोजनाओं से अपडेट रिकार्ड आने में माह भर का समय लग जाता है। ऐसे में गंभीर कुपोषण वाले गांवों को चिन्हांकित करने में समस्या होती है। इलेक्ट्रानिक मापयंत्र से जानकारी तो मिल जाती है किंतु मेनुअल रिकार्ड समय पर नही मिलता। जिससे पोषण आधारित योजना प्रभावित है।

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