चाम्पा कोरबा कटघोरा फोरलेन, भूमि अधिग्रहण में 200 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी, ई डी ने शुरू की जांच

पटवारी और बाबू से लेकर बड़े अफसर -नेताओं तक पहुचेगी आंच

रायपुर। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चांपा-कोरबा-कटघोरा फोरलेन भूमि अधिग्रहण में 200 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी का केस भी अब अपने हाथ में ले लिया है। इसे मिलाकर अब ईडी ने राज्य में सातवीं जांच शुरू कर दी है।

ईडी ने कुछ दिन पहले चिट्ठी लिखकर कोरबा पुलिस से एफआईआर और चार्जशीट की कॉपी मांगी गई है। पुलिस ने पूरी जानकारी दे दी है। चर्चा है कि फोर लेन निर्माण की जानकारी के पहले प्रभावशाली लोगों ने सस्ती दर पर जमीन खरीद ली थी।
जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े कर रजिस्ट्री कराई गई है। एसीसीएल की भी जमीन के अधिग्रहण में भी फर्जीवाड़े का आरोप है। ईडी इससे पहले कोल, आबकारी, डीएमएफ, नान, जनजीवन मिशन घोटाले और ऑनलाइन सट्टे, हवाला की जांच कर रही है। इसमें पटवारी, आरआई से लेकर राजनेता समेत कई बड़े लोगों की भूमिका की जांच की गई। घोटाले की पाली तानाखार विधायक मोहित केरकेट्टा व कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने खुद शिकायत की थी।

50 गांवों में 500-500 वर्ग मीटर से कम के टुकड़े कर खरीदी -बिक्री

चांपा-कोरबा-कटघेारा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 149 बी में फोर लेन का निर्माण होना है। ​प्रोजेक्ट आने के पहले ही कोरबा के हरदीबाजार-तरदा बाईपास जमीन को कुछ लोगों ने सिंडिकेट बनाकर खरीद लिया। इसमें 50 गांवों में 500-500 वर्ग मीटर से कम के टुकड़े कर जमीनों की खरीदी-बिक्री की गई है।200 से ज्यादा लोगों ने इस जमीन को बहुत ही सस्ते दर पर खरीद लिया। ताकि उन्हें मोटा मुआवजा मिल सके। जबकि इन जमीन की खरीदी-बिक्री पर प्रशासन ने रोक लगाई थी। इसके बाद भी रजिस्ट्री कर दी गई। इसमें सरकार को 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया गया।

अक्टूबर 2022 से अलग-अलग केस में 19 गिरफ्तार

ईडी अक्टूबर 2022 से राज्य में कार्रवाई कर रही है। अवैध कोल परिवहन में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें दो आईएएस, दो माइनिंग, एक राप्रसे की अधिकारी समेत एक दर्जन बड़े कारोबारी है। आबकारी गड़बड़ी में आबकारी के बड़े अधिकारी समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। गुरुवार को सट्टेबाजी केस में एक पुलिस वाला समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।
डीएमएफ गड़बड़ी में आईएएस रानू साहू से अभी पूछताछ हुई है। चावल सप्लाई गड़बड़ी में राइस मिलर के यहां छापेमारी की गई। जबकि 70 से ज्यादा लोगों के घर छापेमारी सभी केस में हो चुकी है। 300 से ज्यादा लोगो से पूछताछ की गई। 300 करोड़ से ज्यादा संपत्ति भी अटैच की गई है। भारी मात्रा में कैश और ज्वेलरी भी अटैच किया गया है।

पुलिस में दर्ज है 420 सहित अन्य धाराओं में केस

ईडी ने जो सातवीं जांच भूमि अधिग्रहण में शुरू की है। वह पुलिस की कार्रवाई से लिया गया है। कोरबा पुलिस ने धारा 420 समेत अन्य धारा में केस दर्ज किया है। यह पीएमएलए की अनुसूचित अपराध में शामिल हैं। अभी ईडी सट्टेबाजी में मनी लान्ड्रिंग और हवाला पर कार्रवाई कर रही है। यह भी दुर्ग, रायपुर और आंध्रप्रदेश पुलिस की कार्रवाई से शुरू हुई है।
इससे पहले कोल परिवहन केस में बेंगलुरु और आईटी के एफआईआर को लेकर केस दर्ज किया गया और कार्रवाई की गई। आबकारी और नान में आईटी ने केस दर्ज किया है।

पहले से 6 केस की जांच कर रही ईडी

विस चुनाव के पहले ईडी ने छत्तीसगढ़ में छापेमारी और जांच तेज कर दी है। ईडी ने सबसे पहले अवैध कोल परिवहन केस की जांच की। पिछले साल सितंबर में कोल परिवहन में 540 करोड़ की गड़बड़ी का केस दर्ज किया। उसके बाद नवंबर में सट्टेबाजी में मनी लान्ड्रिंग व हवाला का केस दर्ज किया। दिसबंर में आबकारी में 2000 करोड़ की कथित गड़बड़ी का केस दर्ज किया।
इस साल डीएम एफ में गड़बड़ी और चावल सप्लाई यानी नान में में गड़बड़ी का केस दर्ज किया है। उसके बाद जल जीवन मिशन की जांच शुरू की गई। अब तक भूमि अधिग्रहण में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसमें पटवारी, आरआई से लेकर कई लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है। चर्चा है कि इसमें कोर्ट के स्टे को लेकर ईडी अपील की तैयारी कर रही है। क्योंकि इसमें सत्ता पक्ष के कई बड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं।

इन ​बिंदुओं पर होगी जांच

खरीदी-बिक्री में रोक के बाद भी 200 लोगों के नाम से रजिस्ट्री कैसे हुई?

प्रशासन के कौन-कौन लोग इसमें शामिल हैं? उनकी भूमिका क्या हैं?

तत्कालीन कलेक्टर और एसडीएम ने रजिस्ट्री होने कैसे दिया?

पटवारी-आरआई ने नापखोज व सीमांकन कैसे कर दिया?

जिन लोगों की जमीन थी। उन्हें कितना पैसा दिया गया?

जमीन किसने-किसने खरीदी हैं? उन्हें फंडिंग किसने की हैं?

जमीन खरीदने वाले किस से जुड़े हुए हैं?

साभार

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