भू-विस्थापितों ने कोल इंडिया चेयरमैन के गाड़ी के सामने खड़े होकर काफिला को रोका

कोरबा 25 जून। साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल के शीर्ष अधिकारियों की कारगुजारियों की वजह से भू-विस्थापित बेहद नाराज हैं। कोल इंडिया के चेयरमैन के सामने अधिकारियों का भंडा फूट न जाए, इसके लिए उनके दौरे की खबर को गोपनीय रखा गया। बावजूद इसकी भनक किसान सभा के भू-विस्थापितों को लग गई और मनगांव के पास चेयरमैन की गाड़ी के सामने खड़े हो गए। ज्ञापन लेने के लिए चेयरमैन को गाड़ी से नीचे उतरना पड़ा।

कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल शनिवार को कोरबा पहुंचे और यहां संचालित कुसमुंडा व गेवरा कोयला खदान का निरीक्षण किए। इस दौरे की तैयारी एसईसीएल प्रबंधन पिछले कुछ दिनों से गोपनीय रूप से कर रही थी। प्रबंधन नहीं चाहती थी कि नौकरीए मुआवजा व पुनर्वास की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे भू-विस्थापितों की आवाज उन तक पहुंच सके। लाख कोशिश के बावजूद कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने 600 दिन से भी अधिक समय से धरने पर बैठ किसान सभा के कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी लग गई और करीब 25 भू-विस्थापित चेयरमैन से मिलने निकल पड़े। कुसमुंडा पहुंचे तो चेयरमैन अग्रवाल यहां वर्कशाप का उद्घाटन कर गेवरा के लिए निकल गए थे। आनन फानन में भू-विस्थापित भी गेवरा पहुंच गए, तब मनगांव में फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी एफएमसी के तहत बनाए गए गेवरा रैपिड लोडिंग सिस्टम आरएलएस का उद्घाटन कर रहे थे। भू.-विस्थापितों ने चेयरमैन से मिलाने की बात एसईसीएल के अधिकारियों से कही, पर कुसमुंडा व गेवरा जीएम ने साफ तौर पर इंकार कर दिया। यहां से बाहर निकलते वक्त भू-विस्थापितों ने चेयरमैन की गाड़ी के सामने खड़े होकर काफिला को रोक दिया। हालात को भांपते हुए मौजूद सुरक्षा बल ने जोर जबरदस्ती नहीं की और चेयरमैन अग्रवाल कार से बाहर निकल कर भ-.विस्थापितों से मिले और उनका ज्ञापन लिया।

भू-विस्थापितों ने बताया कि लंबे समय से कुसमुंडा में उनका आंदोलन चल रहा। इसके बावजूद उनकी मांगो को प्रबंधन अनदेखी कर रही। बार-बार नियमों का हवाला देकर नौकरी देने से टालमटोल किया जा रहा। यही नहीं प्रबंधन की प्रताडऩा की वजह से जटराज के भू-विस्थापित दिलहरण पटेल द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने की घटना से भी चेयरमैन को अवगत कराया। भू-विस्थापितों ने यह शिकायत की, उस वक्त चेयरमैन के साथ एसईसीएल के सीएमडी डा प्रेमसागर मिश्रा भी मौजूद थे। काफी घेराबंदी के बाद भी आंदोलनकारी चेयरमैन की गाड़ी रोकने में सफल हो गए, यह देख कर सीएमडी डा मिश्रा तिलमिला उठे।

Spread the word