ओपन कास्ट खदानों में बारिश से उत्पादन प्रभावित, 25 हजार टन घटा कोयला उत्पादन

कोरबा 23 सितम्बर। पिछले कुछ दिनों से रूक.रूक कर हो रही बारिश से एसईसीएल की ओपन कास्ट खदानों में असर दिखने लगा है। बारिश की वजह से जिले के पांचों ओपन कास्ट कोल माइंस में उत्पादन में गिरावट आई है। मेगा परियोजनाओं में ही रोज होने वाले कोयला उत्पादन में 20 से 25 हजार टन तक घटा है। अगले कुछ दिनों में और बारिश की संभावना है, जिससे उत्पादन पर ज्यादा असर पडऩे की आशंका है।

कोरबा में खुली कोयला खदान मानिकपुर, सराईपाली, कुसमुंडा, दीपका और गेवरा खदान संचालित हैं। बारिश होने से खदानों में भारी मशीनों, वाहनों का परिचालन मुश्किल हो रहा है। दुर्घटना का भय बना रहता है, सबसे ज्यादा असर रात के शिफ्ट पर ड्यूटी पड़ता है। बारिश होने पर ऑपरेटरों को ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है, ताकि दुर्घटना न हो, जिसका असर कोयला उत्पादन पर पड़ता है। मानसून बीतने के बाद प्रबंधन को उम्मीद थी कि अब बारिश थमने से कोयला उत्पादन तेज होगा, लेकिन पिछले करीब 10 दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश की वजह से उत्पादन फिर से प्रभावित हुआ है। प्रबंधन ने मानसून के बाद एसईसीएल का दैनिक कोयला उत्पादन का टारगेट बढ़ाकर 4 लाख टन तक कर दिया है, लेकिन इसके मुकाबले 2.50 लाख टन कोयला उत्पादन हो रहा है। बीते कई दिनों से ये स्थिति है। स्टॉक में पहले से रखे कोयला को डिस्पैच कर भरपाई की जा रही है। प्रबंधन के एक अधिकारी ने कहा कि लक्ष्य अनुरुप कोयला उत्पादन के लिए लगातार कोशिश हो रही है। बारिश की वजह से उत्पादन कुछ प्रभावित जरूर हुआ है, लेकिन आगे इसे कवर कर लिया जाएगा।

कुसमुंडा:-एसईसीएल की दूसरी बड़ी मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा की उत्पादन क्षमता 45 मिलियन टन है। यहां डेली कोल प्रोडक्शन अभी औसत 42 हजार टन तक है। यहां उत्पादन बढ़ाने प्रबंधन ने ओबी प्रोडक्शन अभियान शुरु किया है, लेकिन बारिश की वजह से इस अभियान में बाधा आ रही है। एसईसीएल के मेगा परियोजना दीपका में 35.40 हजार टन ही कोयला उत्पादन हो रहा है। बारिश के चलते पहले से यहां भी प्रोडक्शन घटा है। माइंस को वार्षिक कोल प्रोडक्शन टारगेट 35 मिलियन टन है। मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में पखवाड़े भर पहले तक 1.25 लाख टन के करीब कोयला उत्पादन हो रहा था, लेकिन अभी खदान में 90 हजार टन से 1 लाख टन तक कोयले का उत्पादन हो रहा है। एसईसीएल कोरबा एरिया का मानिकपुर पुराना ओपन कास्ट कोल माइंस है। यहां हर दिन 18.20 हजार टन तक कोयला उत्पादन होता है, जबकि अभी 14 हजार टन तक कोयला निकल रहा है। कोरबा एरिया के यह दूसरी खुली कोयला खदान है। यहां 1200 टन तक कोयला उत्खनन हो रहा है।
बारिश की वजह से खदानों में उत्पादन के साथ डिस्पैच भी प्रभावित हुआ है।

बारिश के चलते सड़के खराब होने से रोड सेल से डिस्पैच पर प्रभाव पड़ता है। दीपका परियोजना से वर्तमान में 60.65 हजार टन तक डेली कोल डिस्पैच हो रहा है। मेगा परियोजना कुसमुंडा से 75 हजार टन तक कोयला डिस्पैच किया जा रहा है। गेवरा खदान से 1.15 लाख टन कोयला डिस्पैच हो रहा है। एसईसीएल के कोयला खदानों से पावर कंपनी के प्लांटों को कोयला आपूर्ति होती है। बारिश के चलते खदानों में उत्पादन अगर ज्यादा पीछे होता है, तो इसका कंपनी के प्लांटों में कोयला आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। एचटीपीपी में अभी कोयले की खपत 18 हजार टन है, लेकिन इससे कम आपूर्ति हो रही है। डीएसपीएम प्लांट को किसी तरह 5 हजार टन आपूर्ति हो रही है। मड़वा प्लांट में खुद के कोल ब्लॉक से कोयला मिलता है। यहां कोयला संकट बना हुआ है।

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