वन विभाग फिर से जुटा हाथियों को रेडियो कॉलर पहनाने की तैयारी में

कोरबा 19 जुलाई। कोरबा समेत प्रदेश के12 से अधिक जिलों में हाथियों का आंतक जारी है। अब वन विभाग ऐसे हाथियों को रेडियो कॉलर पहनाने की फिर से तैयारी कर रहा है। ये हाथी गांवों में घुसकर, खेती-बाड़ी, घरों में तोडफ़ोड़ कर रहे और लोगों की जान ले रहे हैं। रेडियो कॉलर इस साल 15 से अधिक हाथियों को पहनाया जाएगा, ताकि हाथियों से होने वाले नुकसान से बचा जा सके। बारिश के बाद अक्टूबर से ये काम होगा। इसके लिए बाहर से एक्सपर्ट की टीम भी बुलाई जाएगी।

रेडियो कॉलर साउथ अफ्रीका से मंगाया जाएगा। एक रेडियो कॉलर पट्टी लगाने के लिए 2 से 3 लाख रुपए खर्च आता है। प्रदेश में साल 2018 में हाथियों को पहले रेडियो कॉलर पहनाया गया था। इसकी संख्या लगभग 8 थी, जिसमें 5 हाथियों के रेडियो कॉलर गिर गए हैं। जो बचे हैं वे भी सही तरह के लोकेशन नहीं बता रहे हैं। अब फिर से वन विभाग इसी योजना पर काम कर रहा है। रेडियो कॉलर से हाथियों के झुंड की लोकेशन मिलती है, जिससे आबादी वाले क्षेत्रों में उनके मूवमेंट का पता चलता है। कई बार अचानक ये काम करना भी बंद कर देते हैं। बहरहाल, प्रदेश में हाथियों के मूवमेंट की जानकारी के लिए 39 हाथी मित्र दल के 384 सदस्य काम कर रहे हैं। प्रदेश में हाथियों की संख्या करीब 300 है, जिसमें 20 दल है। फिलहाल प्रदेश में सबसे ज्यादा सरगुजा सर्कल और धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बालोद कोरबा जिले में हाथियों का डेरा है। एक रेडियो कॉलर का वजन 15 किलो होता है। हाथी पेड़ों के सहारे पट्टी तोड़ डालते हैंं, जिससे ये गिर जाते हैं। खराब होने पर भी सही लोकेशन नहीं मिल पाता है। रेडियो कॉलर तीन से चार साल तक ही काम कर सकते हैं। सरगुजा में सबसे पहले हाथियों से नुकसान को रोकने रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा, ताकि लोकेशन मिल सके। बरसात के बाद हाथियों को ये लगाए जाएंगे। सरगुजा में एक हाथी को रेडियो कॉलर पहनाना हैं।

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