संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने की खमरछठ पूजा

कोरबा 9 अगस्त। भाद्र पद कृष्ण पक्ष की छठी तिथि को नगर और आसपास के इलाके में खमरछठ (हलषष्ठी) व्रत करने के साथ हिंदू महिलाओं ने पूजा अर्चना की। संतान की दीर्घायु की कामना से यह पूजा करने का विधान है।
मौके का फायदा लेते हुए कई स्थानों पर पशु पालकों ने भैंस का दूध 100 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बेचा। दही की दरें भी इसके आसपास रही। क्षेत्र में ऐसा पहली बार हुआ।
विभिन्न क्षेत्रों में हलषष्ठी मनाए जाने की परंपरा है। इस पर्व पर षष्ठी माता की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि की कामना की गई। पूजा-अर्चना में बिना हल जोते उगने वाले पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाने का खासा महत्व है।
कोरोना कालखंड में कई तरह की परेशानियों से थोड़ी बहुत राहत मिलने के साथ बाजार में रौनक दिखी। व्रत करने वाली महिलाओं ने इससे पहले बाजार से जरूरी सामान की खरीदारी की। जानकारी के अनुसार कोरबा और उपनगरीय क्षेत्रों में पसहर चावल इस बार भी 100 से 150 रुपए किलो की दर पर आसानी से बिका। कारण यह है कि व्रत में बिना जोती गई जमीन पर उपजाए गए अनाज का उपयोग किया जाता है। ऐसे में पसहर चावल का उत्पादन कम होने से इसकी बिक्री उत्पादक वर्ग अपने हिसाब से करता है। चावल के अलावा फूल, नारियल, फुलोरी, महुआ, दोना, टोकनी, लाई, छह प्रकार की भाजी का भी पूजा में महत्व होने से खरीदारी की गई। पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता। यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन करके व्रत तोड़ती हैं।
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