भाजपा शासित राज्यों में मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश : नरेश

कोरबा। कोविड-19 एवं लॉकडाउन के दौरान एक तरफ मजदूर बेहाल है और संघर्ष कर छोटे-छोटे बच्चों के साथ पैदल घर जाने को मजबूर है। वह विभिन्न दुर्घटनाओं में जान गंवा रहा है। रोजी-रोटी के लिए मोहताज हो जाने के बाद भी भाजपा शासित राज्य सरकारों के द्वारा उद्योगपतियों एवं पूंजीपतियों को राहत पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव किया जा रहा है ।
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक)छत्तीसगढ़ के महामंत्री व राष्ट्रीय संगठन सचिव नरेश देवांगन ने औद्योगिक विवाद अधिनियम श्रमिक अनुबंध कानून को तीन वर्ष के लिए निरस्त करने की सिफारिश केन्द्र सरकार से की है जिसमें उत्तर प्रदेश,हिमाचल प्रदेश,मध्यप्रदेश, बिहार और ओडिसा राज्य शामिल हैं। इन सभी प्रदेशों में लागू श्रम अधिनियम अधिकतर केन्द्रीय श्रम अधिनियम के तहत आते है। देश में औद्योगीक क्रांति के पूर्व जिस तरह मजदूरों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, उसी तरह इन राज्यों में मजदूरों के लिए वैसे ही दयनीय हालात हो जायेंगे, बंधुआ मजदूर बनने पर मजबूर हो जायेंगे। श्री देवांगन ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने अगर इन प्रावधानों पर मुहर लगा दी तो मजदूरों को काम के जगह पर मिलने वाली सुविधाएं निरस्त हो जाएंगी मौजूदा कानून में प्राप्त हो रही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कानूनी जिम्मेदारी से औद्योगिक इकाईयां मुक्त हो जाएंगी। देश में करोना वायरस महामारी की आड़ में मजदूरों के अधिकारों पर कुठाराघात हो रहा है। नरेश देवांगन ने कहा है कि केन्द्र सरकार के मजदूर हितों की अनदेखी के प्रयास पर केन्द्रीय श्रमिक सगठनों द्वारा डॉ. जी. संजीवा रेड्डी के नेतृत्व में जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा, इसीलिए मजदूरों के हितों के लिए बने कानूनों में बदलाव ना किया जाए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का श्रमिक मजदूरी दर बढ़ोतरी के साथ हितों का संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आभार जताया है।

Spread the word