मड़वा ताप विद्युत भू-विस्थापित आंदोलन को कोरबा महिला सभा (एनएफआइब्लू) एवं किसान सभा ने दिया समर्थन

कोरबा 01 दिसंबर। कोरबा महिला सभा (एनएफआइब्लू) के छत्तीसगढ़ राज्य सह सचिव का. विजयलक्ष्मी चौहान ने कहा कि आज इस आंदोलन को छियालीस दिन हो गया इस से यह साबित होता है कि मडवा ताप विद्युत प्रबंधन एवं शासन प्रशासन महिला विरोधी, मजदूर विरोधी, किसान विरोधी है मैं महिला सभा की तरफ से इस आंदोलन को सक्रिय समर्थन देती हूं। महिला सभा कोरबा- जिला सचिव का. हेमा चौहान ने आरोप लगाई कि नौकरी, मुआवजा, पुनर्वास की वजाय आवाज उठाने वाले के प्रति मानवीय रूख अपनाया जा रहा है जिसे नारी शक्ति, महिला सभा कतई बर्दाश्त नहीं करेगी ।और प्रबंधन एवं शासन प्रशासन से यह कहना चाहती हूं कि जल्द से जल्द भू स्थापित की मांग पूरी करें।

कोरबा-अखिल भारतीय किसान सभा का.राम मूर्ति दुबे ने मड़वा में भू-विस्थापितों के चल रहे आंदोलन को समर्थन देने पहुंचकर पुरजोर समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोरबा जिले के हम सभी साथी आपके इस आंदोलन के साथ खड़े हैं। यहां के मड़वा ताप विद्युत प्रबंधन व शासन-प्रशासन को जल्द से जल्द बैठक आहूत कर आपकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए इसे पूर्ण किया जाना चाहिए। अन्यथा की स्थिति में आने वाले दिनों में इस आंदोलन का विस्तार किया जाएगा । कोरबा सीपीआई जिला सचिव का. पवन कुमार वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भू-विस्थापितों से जब भूमि लेते हैं तब कंपनी कभी शर्तों की बात नहीं करता है उस समय केवल आप हमें जमीन दो और हम आप सभी भू-विस्थापित परिवारों को नौकरी देंगे। परन्तु जब संयंत्र तैयार हो जाता है तब उत्पादन के लिए कर्मचारियों, मजदूरों की आवश्यकता होती है तब आपसे आपकी शैक्षणिक योग्यता पूछा जाता है। आखिर क्यों? साथियों जब भी हमारी आवश्यकता होगी हम सभी कोरबा जिला के साथियों के साथ आंदोलन तेज करेंगे। आंदोलन स्थल पर समर्थन देने पहुंची कोरबा- महिला सभा अध्यक्ष का.मीना यादव, कोषाध्यक्ष का. केवरा यादव,का. गायत्री, सीपीआई कोरबा- जिला सहसचिव रेवत प्रसाद मिश्रा।आंदोलन में बैठे साथियों ने बताया कि भू-विस्थापितों को नौकरी दो की मांग को लेकर दिनांक- 14.10.2024 से मड़वा प्लांट प्रवेश द्वार चौक, दर्राभांठा, चांपा पर चरणबद्ध अनिश्चित कालीन हड़ताल का छियालीसवां दिन चल रहा है।जब ताप विद्युत संयंत्र परियोजना आयी तब 2007 में ग्राम मड़वा- तेन्दुभांठा के किसानों से उनकी सिंचित भूमि को बहुत ही कम 364000/- रुपये प्रति एकड़ की दर पर खरीदी की गई थी। पुनर्वास नीति 2007 के लाभ के तहत भू-विस्थापित खातेदार एवं सह खातेदार को नौकरी देने की एवं जब तक नौकरी नहीं दिया जाता है उस स्थिति में पुनर्वास नीति के तहत जीवन निर्वहन भत्ता मनरेगा के बढ़ते क्रम में देने की सहमति बनी थी परन्तु अभी तक भू-विस्थापितों को ना ही नौकरी दी गई है और ना ही जीने के लिए जीवन निर्वहन भत्ता दिया जा रहा है। संयंत्र के गोद नामित गाँवों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं नौकरी के लिए प्रशिक्षण की सुविधा निःशुल्क देने की सहमति भी तीनों पक्षकारों के बीच सहमति बनी थी।

भू-विस्थापितों के द्वारा किया जा रहा अनिश्चित कालीन हड़ताल अपने हक अधिकार की लड़ाई है जो लड़ रहे हैं। आज हड़ताल का छियालीसवां दिन हो रहा है पर शासन,प्रशासन एवं छग. राज्य विद्युत मंडल उनकी उचित मांग को संज्ञान नही ले रहे हैं। जिससे भू-विस्थापितों में आक्रोश व्याप्त हो रही है। भविष्य में आंदोलन और उग्र होने वाली है। भू-विस्थापितों के द्वारा चरणबद्ध अनिश्चित कालीन हड़ताल का स्वरूप दिनाँक -08.11.2024 से अनिश्चित कालीन क्रमिक भूख हड़ताल में बदल गया हैं। भू-विस्थापित पुरुष साथियों के द्वारा 24-24 घंटे का क्रमिक भूख हड़ताल पंद्रह दिन हो चुका है, परन्तु शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन के द्वारा भूविस्थापितों की मांग पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया गया है इसलिए अब छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल, छत्तीसगढ़ शासन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मातृशक्ति (महिलाओं) के द्वारा 23/11/2024 से 24-24 घंटे का क्रमिक भूख हड़ताल में बैठ गए है’ अब महिलाओं ने ठान लिया है कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती है भूख हड़ताल,अपना आंदोलन किसी भी स्थिति में खत्म नही करेंगे। महिला साथियोंता के द्वारा की जा रही भूख हड़ताल में किसी भी भू-विस्थापितों व उनके परिवारों में कोई अप्रिय घटना घटती है उसकी सारी जिम्मेदारी शासन, प्रशासन व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत प्रबंधन की होगी।

28.11.2024 क्रमिक भूख हड़ताल के इक्कीसवां दिनः-
दिलेश्वरी साहू (भू-विस्थापित) 23 वर्ष
कुन्ती बाई केंवट (भू-विस्थापित) 35 वर्ष
अंजू चौहान (भू-विस्थापित) 19 वर्ष
अब भी छत्तीसगढ़ शासन, जिला प्रशासन, व छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल भू-विस्थापितों की पीड़ा मांगों को अनदेखी करतीं हैं तो संगठन और भू-विस्थापितों के द्वारा आंदोलन को उग्र करने का निर्णय लिया गया है। संगठन पदाधिकारी सुधीर यादव, रघुनंदन सोनी, श्याम कुमार बरेठ , शिव बरेठ, सरजू बरेठ, नवधा बरेठ, शिव, संगीता सावरकर, विवेक पटेल, नागेश्वर, मनक, योगेश साहू, रमशिल्ला, राजकुमारी, संतोषी, बुधवार बाई, अर्चना, प्रमिला साहू, मथुरा बाई, तेरस, रजनी, ममता यादव, इतवार बाई, सुलेखा यादव, हीरा लाल गोंड, सूरज गोंड, रामू गोंड, शिवा गोंड, अरूण गोंड, संजयसिंह, रथ राम निर्मलकर, लोचन साहू, राजेश शुक्ला, सुमित्रा बाई, गुलशन कंवर,रामकुमार यादव, आदि भू-विस्थापितों व ग्रामीण साथियों के द्वारा धरना में शामिल होकर समर्थन दिया है।

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