हसदेव अरण्य में फिर कटेंगे 2.73 लाख पेड़, केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में दी जानकारी
नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य वन में कोयला खनन के लिए करीब 95,000 पेड़ काटे गए हैं। आने वाले वर्षों में 2.73 लाख से अधिक पेड़ और काटे जाएंगे।
एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार परसा ईस्ट केते बासेन माइन (पीईकेबी) में 94,460 पेड़ काटे गए हैं। इस नुकसान की भरपाई कुल 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं। नए लगाए गए पेड़ों में से 40,93,395 पेड़ बच गए हैं। आने वाले वर्षों में हसदेव अरण्य में 2,73,757 और पेड़ों को काटना होगा।
1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है हसदेव अरण्य
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में हसदेव अरण्य 1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है और देश की राजधानी दिल्ली से भी बड़ा है।
आदिवासी कर रहे विरोध
इस सिलसिले में सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और एक्टिविष्ट सुदीप श्रीवास्तव का कहना है कि हसदेव के घने जंगलों में हो रहे कोयला खनन का विरोध वहां के आदिवासी और राज्य के सभी समझदार लोग कर रहे हैं।
नए खदान की जरूरत ही नहीं है
उन्होंने कहा है कि आज एक नई समस्या सामने आई है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम जिसके के पावर प्लांट की कुल कोयला आवश्यकता साल में लगभग 200 लाख टन है और जिसकी पूर्ति एक चालू खदान परसा ईस्ट केते बासन के सालाना 210 लाख टन कोयला उत्पादन से ही हो जा रही है। उसके बावजूद राजस्थान सरकार परसा और केते एक्सटेंशन में नई कोयला खदानें खोलना चाहती है।
जन-सुनवाई 2 अगस्त को, होगा विरोध
उन्होंने कहा है कि आगामी 2 अगस्त को केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की पर्यावरण जनसुनवाई है, जिससे कि आगे उसे अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा है कि इस ब्लॉक में 99% घना जंगल और 6 लाख के लगभग पेड़ है। पूरा इलाका हसदेव का जल ग्रहण क्षेत्र है। मानव हाथी संघर्ष वैसे भी इस इलाके में चरम पर है। ऐसे में इस खदान की अनुमति देना जिसके कोयले की आवश्यकता राजस्थान को नहीं है, छत्तीसगढ़ राजस्थान या देश हित में नहीं है।
अडानी पॉवर मुफ्त में ले रहा कोयला
उन्होंने आरोप लगाया है कि वस्तुत राजस्थान और अडानी के अनुबंध के अनुसार रिजेक्ट की आड़ में बड़ी मात्रा में कोयला अदानी के द्वारा अपने पावर प्लांट में मुफ्त में ले जाया जा रहा है। इस क्रॉनि केपीटलइज्म के मॉडल का विरोध करना अत्यंत आवश्यक है। इस लिए हम सब मिलकर हसदेव के घने जंगलों को बचाने के लिए अपना अपना योगदान दे।