दस हजारी अधिकारी का हुआ प्रमोशन, अब लखटकिया के नाम से होने लगा है- मशहूर
अम्बिकापुर 4 अक्टूबर। बस्तर में दस हजारी का तमगा हासिल करने वाला कुख्यात अधिकारी का प्रमोशन हो गया है। अब उसके सिर पर लखटकिया का ताज सज गया है। इन दिनों वह तेजी के साथ लखटकिया का शोहरत हासिल कर रहा है।
बात ज्यादा पुरानी नहीं है। तीन वर्ष पहले एक खास श्रेणी का नुमाइंदा महज दस हजार रूपये के चक्कर में फंस गया था। इसके बाद इसका अच्छा भला नाम बदल कर दस हजारी हो गया था। हालांकि सेतु का काम करने वाले कुछ लोगों की सक्रियता से यह कुख्यात दस हजारी साफ बच निकला था। लेकिन दस हजारी का दाग इसके दामन में अभी भी लगा हुआ है, जिससे इसे निजात तो क्या मिलेगा?
बहरहाल इन दिनों वनवासी क्षेत्र बस्तर के बाद वनवासी क्षेत्र सरगुजा में इनकी उपस्थिति है। यहां पहुंचकर इनका प्रमोशन हो गया है। अब ये दस हजारी नहीं रह गये हैं। अब ये लखटकिया हो गये हैं। गिरगिट की तरह पल-पल में रग बदलने वाले इस कुख्यात ने वनवासी क्षेत्र में पहुंचते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। अब वह लखटकिया का खिताब हासिल कर चुका है।
जन-जन में व्याप्त चर्चा पर यकीन किया जाये तो निम्न मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाला यह मुख्यात कहता है कि वह गरीबी और अभाव का दुःख दर्द देख चुका है। मौका मिला है, तो हालात को सुधार लेना चाहता है। इसीलिए वह लाख से नीचे कोई डील नहीं करता। कुछ ही समय में इसीलिए इसके सिर पर लखटकिया की कलगी सज गयी है। लेकिन ऐसा न हो कि मियां दस हजारी अपने इस लखटकिया तखल्लुस के चक्कर में घनचक्कर न बन जाये?