समूह बनाकर सफलता की सीढ़ी चढ़ रही हैं एकता समूह की महिलाएं
बकरीपालन से कमा रही हैं आजीविका, आर्थिक रूप से मजबूती की ओर अग्रसर
जांजगीर-चांपा 01 जुलाई 2024. समूह में काम करते हुए तरक्की की सीढ़िया चढ़ते हुए एकता स्व सहायता समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है। उनकी इस मजबूती के पीछे का राज राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना है। योजना से मिले तकनीकी मार्गदर्शन और राशि से समूह की महिलाओं ने बकरीपालन का कार्य शुरू किया और दो साल में नित नई ऊचाईयों को छूते हुए अपना मुकाम हासिल किया। समूह की महिलाओं के लिए आजीविका का साधन निर्मित होने से वह अब किसी से पीछे नहीं है। बिहान एनआरएलएम से समूह की महिलाओं को 60 हजार रूपए की राशि सीआईएफ कम्युनिटी इंवेस्टमेंट फंड प्रदान किया गया, जिससे उन्होंने बकरीपालन की गतिविधि को आगे बढ़ाया।
जिला मुख्यालय के जनपद पंचायत पामगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत रसौटा आता है। इस ग्राम पंचायत में महिला स्व सहायता समूह एकता का गठन कुछ महिलाओं ने मिलकर किया। यह समूह संकुल संगठन महिला शक्ति संकुल संगठन बारगांव के अंतर्गत आता है। एकता समूह गठन करने के पहले आर्थिक रूप बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। दूसरे समूह की दीदियों द्वारा एकता समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित किया गया और समूह गठन होने के बाद आपसी लेनदेन, दूसरों को कम दर पर ब्याज की राशि देकर अपनी आजीविका की गाड़ी को चलाना शुरू किया। समूह की अध्यक्ष बताती हैं कि कई बार समूह की महिलाओं को पारिवारिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन मजबूत इरादों के साथ खड़ी महिलाएं पीछे मुड़कर नहीं देखती। समूह की महिलाओं ने अपनी आजीविका में वृद्धि करने का विचार किया और इस दौरान उन्हें एनआरएलएम के माध्यम से रिवालविंग फंड उपलब्ध कराया गया। बकरी पालन सामूहिक गतिविधि की मिलकर शुरूआत की। पहले समूह द्वारा दो बकरी लेकर इस आजीविका को प्रारंभ कियां धीरे-धीरे यह आजीविका बढ़ती गई और एक बकरी से दो, दो से चार बकरियां होते होते अब समूह के पास 18 बकरे-बकरियो हैं, जिन्हें बेचकर आमदनी कमा रही है। समूह की सदस्य संगीता लहरे, स्वेता ज्वाला, शशी किरण, पुष्पा बर्मन, फिरतीन बर्मन, रीता ज्वाला, लक्ष्मिन यादव, लाकेश्वरी यादव, गौरी यादव, केरा बाई लहरे, आसबाई अमरीका कहती हैं कि आज की वर्तमान स्थिति पहले से काफी बेहतर है। अब हमें अपनी छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए दूसरों से पैसे मांगने की आवश्यकता नहीं हैं। ग्राम संगठन से कम ब्याज दर पर पैसे मिल जाते है, जिसे हम अपनी जरूरतों पर खर्च करते है और आज हम खुश हैं।